केंद्रीय मंत्री का विवादित बयान, ‘इतने बड़े देश में एक-दो रेप की घटनाएं हो तो बात का बतंगड़ ना बनाएं’
आपराधिक कानून ( संशोधन ) अध्यादेश , 2018 के अनुसार बलात्कार के मामलों से निबटने के लिए नयी त्वरित अदालतें स्थापित की जाएंगी तथा कालांतर में सभी थानों एवं अस्पतालों को विशेष फोरेंसिक किट्स दिये जाएंगे. अधिकारियों ने इस अध्यादेश का हवाला देते हुए बताया कि उसमें खासकर 12-16 साल की उम्र की लड़कियों से बलात्कार के दोषियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है. बारह साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ ऐसा जघन्य कृत्य करने वालों को मृत्युदंड मिलेगा.
अपनी हड़ताल का समापन करते हुए स्वाति मालीवाल ने कहा , ‘‘ हर रोज तीन , चार , छह साल की बच्चियों से नृशंसता के साथ बलात्कार हो रहा है. मैंने पत्र लिखे , नोटिस जारी किये. मैंने नागरिकों द्वारा लिखे गए 5.5 लाख पत्र प्रधानमंत्री को सौंपे. लेकिन सारा व्यर्थ गया. ‘ उन्होंने कहा , ‘‘ उसके पश्चात मैंने भूख हड़ताल पर बैठने का फैसला किया. कोई रणनीति नहीं थी , धीरे धीरे पूरे देश में लोग इस आंदोलन से जुड़ते गये. उसे इतना बल मिला कि प्रधानमंत्री को भारत लौटने के बाद कानून में संशोधन करना पड़ा. मैं इस जीत के लिए भारत के लोगों को बधाई देते हैं. ‘ आयोग बलात्कार के मामलों से निबटने के लिए देशभर में त्वरित अदालतों के गठन एवं दोषियों के लिए मृत्युदंड की मांग करता रहा है.
मोदी सरकार का फैसला : बलात्कार के लिए न्यूनतम सजा सात से बढ़ाकर 10 वर्ष की गयी
क्या थी स्वाति मालिवाल की मांग