असुमल से बना आसाराम
अहमदाबाद : असुमल सिरुमलानी से स्वयंभू बाबा आसाराम और दस हजार करोड़ रुपये का साम्राज्य खड़ा करने की कहानी बड़ी दिलचस्प है. 1941 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बेरानी गांव में जन्मा असुमल अपने माता-पिता के साथ विभाजन के बाद 1947 में अहमदाबाद आया और वह मणिनगर इलाके में चौथी कक्षा तक पढ़ा. उसे दस साल की उम्र में अपने पिता की मौत के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी. युवावस्था में छिटपुट नौकरियां की.
उसने एक समय चाय बेची, उससे काम नहीं चला, तो अवैध शराब का धंधा भी किया. हत्या के एक मामले में जेल गया. फिर जेल से छूटा, तो अजमेर आकर तांगा चलाना शुरू कर दिया. इसके बाद वह ‘आध्यात्मिक खोज’ पर हिमालय की ओर निकल पड़ा, जहां वह अपने गुरु लीलाशाह बापू से मिला. यही वह गुरु थे, जिन्होंने 1964 में उसे ‘आसाराम’ नाम दिया.
1970 के दशक में आसाराम फिर अहमदाबाद लौटा और उसने मोतेरा इलाके में साबरमती के किनारे तपस्या शुरू की. इसके बाद आसाराम लाखों लोगों द्वारा पूजा जाने लगा. लोगों की इन्हीं भावनाओं का दोहन कर उसने अपना करोड़ों रुपये का भक्ति साम्राज्य खड़ा किया था, लेकिन एक नाबालिग से बलात्कार का मामला सामने आने के बाद उसकी प्रतिष्ठा धूल में मिल गयी.
जमीन हड़पने का आरोप
केरल, तमिलनाडु और नॉर्थ ईस्ट को छोड़कर करीब हर राज्य में आसाराम ने अपना एक आश्रम बनाया है. उस पर सूरत और अहमदाबाद में अपने आश्रमों के लिए जमीन हड़पने का भी आरोप है. गुजरात में आसाराम की 10 जिलों में 45 स्थानों पर जमीन है. इसके अलावा राजस्थान, मप्र, महाराष्ट्र और आंध्र के आठ जिलों में 33 जगहों पर आसाराम की जमीनें हैं.
-लीलाशाह बापू ने 1964 में आसाराम नाम दिया
-साबरमती के किनारे शुरू की तपस्या
1972 : मोक्ष कुटीर से बनाया 400 आश्रम
1972 में आसाराम ने साबरमती के किनारे ‘मोक्ष कुटीर’ स्थापित की. साल-दर-साल ‘संत आसारामजी बापू’ के रूप में उसकी लोकप्रियता बढ़ती गयी और उसकी छोटी सी झोंपड़ी आश्रम में तब्दील हो गयी. महज चार दशकों में उसने दुनिया में करीब 400 आश्रम खोल लिये.
2008 : आश्रम में मृत मिले थे दो रिश्तेदार
आसाराम उस वक्त मुसीबत में तब पड़ा, जब उसके दो रिश्तेदार दिपेश और अभिषेक वाघेला 2008 में रहस्यमयी परिस्थितियों में मोतेरा आश्रम के समीप मृत पाये गये. राज्य सीआइडी ने इस मामले में 2009 में आसाराम के सात समर्थकों पर मामले दर्ज किये.
मनई आश्रम में नाबालिग से दुष्कर्म, जोधपुर में मिली सजा
15 अगस्त, 2013 : जोधपुर के मनई आश्रम में दुष्कर्म
31 अगस्त, 2013 : इंदौर के आश्रम हुई गिरफ्तारी
01 सितंबर, 2013 : इंदौर से उसे जोधपुर ले जाया गया
02 सितंबर, 2013 : न्यायिक हिरासत में लेकर जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा गया
06 नवंबर, 2013 : आसाराम व चार अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल
07 फरवरी, 2014 : कोर्ट ने आरोप तय किये
11 अगस्त, 2016 : सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत नहीं
07 अप्रैल, 2018 : अंतिम दलीलें पूरी. फैसला सुरक्षित
-12 जमानत याचिकाएं
– 06 बार निचली अदालत, 03 बार राजस्थान हाइकोर्ट व तीन बार सुप्रीम कोर्ट से खारिज
बेटा भी जेल में
आसाराम और उनके बेटे नारायाण साईं के खिलाफ सूरत की दो बहनों ने बलात्कार का केस दर्ज करवाया है. बड़ी बहन ने आसाराम पर, तो छोटी बहन ने नारायण साईं पर रेप का केस दर्ज करवाया है. नारायण साईं को पुलिस ने दिसंबर, 2013 में गिरफ्तार किया था. तब से वह जेल में है. गांधीनगर की अदालत में यह मामला चल रहा है.
Agni Prime Missile : पहली बार रेल लॉन्चर से परीक्षण, मिसाइल भेद सकती है 2,000 किलोमीटर तक के टारगेट को
Watch Video: पानी में डूबे घर, टूटी सड़कें, उत्तरकाशी में बादल फटने से मची तबाही का नया वीडियो आया सामने
Uttarkashi Cloudburst: उत्तराखंड में कुदरत का कहर, अब तक 4 की मौत, सीएम धामी ने नुकसान का लिया जायजा
Heavy Rain Warning: अगले 3 से 4 घंटों के दौरान हिमाचल में भयंकर बारिश की संभावना, IMD अलर्ट जारी