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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति की बैठक में इसके प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गयी. इसके तहत देश में शैक्षणिक अवसंरचना की बढ़ती वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए उच्च शिक्षा वित्त एजेंसी (हेफा) के कार्य क्षेत्र को विस्तार दिया गया. सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इसके तहत वित्त एजेंसी के पूंजी आधार को बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है और इसे 2022 तक शिक्षा के बुनियादी ढांचे और प्रणालियों को मज़बूत करने के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये की निधि निर्माण करने का निर्देश दिया गया है.
इस सुविधा का सभी संस्थानों तक विस्तार करने के लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने हेफा के अंतर्गत पांच योग्यताओं तथा मूलधन के मुख्य अंश के पुनर्भुगतान की प्रक्रियाओं को मंजूरी दी है. इन सभी मामलों में सरकारी अनुदान के माध्यम से ब्याज का लगातार भुगतान किया जायेगा. यह सुविधा 2014 के बाद स्थापित संस्थान, ऐसे केंद्रीय विश्वविद्यालय जिनके पास बहुत कम आंतरिक संसाधन हैं और स्कूली शिक्षा/स्वास्थ्य शिक्षा अवसंरचना जैसे एम्स, केंद्रीय विद्यालय आदि के संदर्भ में है.
इसके तहत 10 साल से अधिक पुराने तकनीकी संस्थान के संदर्भ में संपूर्ण मूलधन का पुनर्भुगतान आंतरिक रूप से संग्रह किये गये बजट संसाधनों के द्वारा होगा. 2008 और 2014 के बीच शुरू किये गये तकनीकी संस्थान के संदर्भ में मूलधन की 25 फीसदी राशि का पुनर्भुगतान आंतरिक संसाधनों द्वारा तथा मूलधन की शेष राशि के लिए अनुदान प्राप्त करके होने की बात कही गयी है.
देश में 2014 के पहले शुरू किये गये केंद्रीय विश्वविद्यालय के संदर्भ में मूलधन की 10 फीसदी राशि का पुनर्भुगतान आंतरिक संसाधनों द्वारा तथा मूलधन की शेष राशि के लिए अनुदान प्राप्त करके पूरा करने की बात कही गयी है. इसके साथ ही, नये स्थापित संस्थान (2014 के बाद शुरू) के संदर्भ में स्थायी परिसर के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता मूलधन और ब्याज के भुगतान के लिए अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा. आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने सरकारी बांड के जरिये धनराशि जुटाने की प्रक्रियाओं को भी मंजूरी दी है.