नयी दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र उमर खालिद ने शुक्रवार को कहा कि छात्र नहीं झुकेंगे और नौ फरवरी 2016 की विवादित घटना के संबंध में उनका निष्कासन बरकरार रखने की विश्वविद्यालय की एक समिति की सिफारिश को अदालत में चुनौती दी जायेगी.
यह घटना संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में कथित रूप से राष्ट्रविरोधी नारेबाजी से संबंधित है. सोशल मीडिया पर जारी बयान में खालिद ने कहा कि बीते दो साल में यह तीसरी बार है जब प्रशासन इस मामले में उनके खिलाफ निष्कासन आदेश लेकर आया है जिसमें से दो बार के आदेश को अदालतों द्वारा निरस्त किया जा चुका है. उन्होंने कहा, ‘हम एक बार फिर इस जांच, इसके निष्कर्षों और फैसले को खारिज करते हैं. यह नैसर्गिक न्याय के सभी सिद्धांतों के खिलाफ है और यह विरोधाभासों, झूठ और द्वेषपूर्ण मंशा से भरा हुआ है जिसका एक बार फिर जल्द ही पर्दाफाश किया जायेगा. हम एक बार फिर इसे अदालत में चुनौती देंगे.’
पीएचडी शोधार्थी ने कहा कि उन्हें ‘जांच द्वारा व्यवस्थित एवं द्वेषपूर्ण तरीके से निशाना बनाया जा रहा है और जांच पहले दिन से हमारे खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रस्त थी.’ बयान में कहा गया, ‘सत्तारूढ़ भाजपा और आरएसएस के आदेशों पर चल रहा प्रशासन किसी भी समय निष्पक्ष तरीके से इस जांच को पूरा करने की स्थिति में नहीं था. अदालत ने जांच प्रक्रिया में बार-बार खामी पायी और उसने हमारी चिंताओं को सही साबित किया.’ गौरतलब है कि जेएनयू की उच्चस्तरीय जांच समिति ने फरवरी 2016 की विवादित घटना के संबंध में खालिद के निष्कासन और छात्र संघ के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर दस हजार रुपये के जुर्माने को सही ठहराया है.
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