टिकट कटने की खबर से दूसरे दलों में आश्रय ढूंढने लगे कई भाजपा सांसद

नयी दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. इस क्रम में पार्टी एंटी इन्कंबेंसी फैक्टर को कम करने व अच्छा परफॉर्म नहीं करने वाले सांसदों का बड़े पैमाने पर टिकट काट सकती है. संभावना है कि भाजपा अपने आधे से अधिक लगभग 150 सांसदों का टिकट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2018 9:19 AM
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नयी दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. इस क्रम में पार्टी एंटी इन्कंबेंसी फैक्टर को कम करने व अच्छा परफॉर्म नहीं करने वाले सांसदों का बड़े पैमाने पर टिकट काट सकती है. संभावना है कि भाजपा अपने आधे से अधिक लगभग 150 सांसदों का टिकट काट सकती है. टिकट कटने वालों में भाजपा के कई बड़े नेता व केंद्रीय मंत्री के नामों की भी चर्चा है. ऐसी परिस्थिति में भाजपा के कुछ सांसदों ने दूसरे दलों के टिकट पर चुनाव लड़ने की संभावना टटोलनी शुरू कर दी है. सूत्रों का कहना है कि एेसे नेता अपने राज्य के प्रमुख क्षेत्रीय दलों से संपर्क भी साधने लगे हैं. कुछ सांसद टिकट कटने पर कांग्रेस का भी दामन थाम सकते हैं. दरभंगा के सांसद कीर्ति झा आजाद इसके संकेत देते हुए कह चुके हैं कि देश में दो ही राष्ट्रीय पार्टियां हैं और वे अगला चुनाव दरभंगा से ही किसी राष्ट्रीय पार्टी के टिकट पर ही लड़ेंगे.

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सबसे अधिक 71 सीटें उत्तरप्रदेश में जीती थीं और पार्टी के सबसे ज्यादा सांसदों के टिकट वहीं काटे जाने की संभावना है. सूत्रों का कहना है कि यूपी भाजपा के कम से कम पांच सांसद बसपा सुप्रीमो मायावती के संपर्क में हैं. मायावती की हाल में राजनीतिक स्थिति मजबूत हुई है और 2019 में वे अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी से गठजोड़ कर भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती हैं. उप चुनाव में मिली जीत से दोनों के उत्साह बुलंद हैं. भाजपा के कुछ असंतुष्ट दलित सांसद मायावती की पॉलिटिकल लाइन से कई बार सहमति भी जताते रहे हैं.

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वहीं, बिहार में भाजपा के वर्तमान में 22 सांसद हैं, लेकिन इस बार नीतीश कुमार का जदयू भी एनडीए के साथ चुनाव लड़ेगा. ऐसे में 40 सीटों में भी भाजपा, जदयू व लोजपा के बीच बंटवारा होना है. ऐसी स्थिति में भाजपा कुछ कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वह कमजोर प्रदर्शन करने वाले अपने सांसदों की सीटें छोड़ सकती है. पार्टी के दो असंतुष्ट नेताओं शत्रुघ्न सिन्हा व कीर्ति झा आजाद के विकल्पों पर भी विचार किया जा सकता है. बिहार के कद्दावर नेता व केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह को भी इस बार टिकट नहीं दिये जाने की खबरें हैं. कल गुड़गांव में इस मुद्दे पर राधामोहन सिंह ने मीडिया के सवालों का जवाब नहीं दिया.

झारखंड में भी भाजपा बुजुर्ग व अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाले कुछ सांसदों का टिकट काट सकती है. खूंटी के सांसदा कड़िया मुंडा का टिकट काटे जाने की खबरें हैं. ऐसे में उनके द्वारा दूसरे विकल्प पर विचार किये जाने की संभावना को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता है.

हिमाचल प्रदेश से शांता कुमार का टिकट काटे जाने की संभावना है. डॉ मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती को भी इस बार पार्टी टिकट नहीं दे सकती है. मध्यप्रदेश व राजस्थान में भी बड़े पैमाने पर टिकट काटे जा सकते हैं. हालांकि यह नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम पर बहुत हद तक निर्भर करेगा.

पिछली बार बहुत सारे कमजोर उम्मीदवार भी मोदी लहर में चुनाव जीत गये थे. अब 2014 की तरह मोदी लहर नहीं है. विपक्ष अधिक संगठित हुआ है. ऐसे में अपना आधार नहीं रखने वाले सांसदों पर भी गाज गिरेगी.

मोदी-शाह ने बार-बार दी थी हिदायत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीवभाजपा अध्यक्ष अमित शाह अपने संसदीयदलकी बैठक मेंसांसदों को बार-बार क्षेत्रसेजुड़े रहने वजनताको सरकार की उपलब्धियांबताने को कहते रहे हैं, लेकिन कई सांसदों पर इसका असर नहीं हुआ. बैठक में भी कई बार सांसदों के रवैये पर मोदी-शाह ने नाराजगी जतायी.ऐसे में अब जब चुनाव करीब है तो वेनेतृत्वकेनिशानेपरहैं.

संघ के साथ बैठक का असर

पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने घर पर संघ के नेताओं को भोज पर बुलाया था. यह भोज चुनावी तैयारियों का जायजा लेने का बहाना था. इससे पहले अमित शाह ने संघ के दूसरे बड़े पदाधिकारी भैयाजी जोशी के साथ बैठक की थी.इनदोनों बैठकों में पार्टी नेतृत्व को आगाह किया गया कि मौजूदा स्थितिमें पार्टी को नुकसानझेलनापड़ सकताहै. भाजपा-संघ की समन्वय बैठक में विभाग स्तर के संगठन मंत्री शामिल हुए थे, जिन्होंने कई सांसदों व मंत्रियों के रवैये पर असंतोष जाहिर किया था और उनके जमीन से कटे होने की बात कही थी. ऐसे में भाजपा संघ के फीडबैक के आधार पर बड़े स्तर पर टिकट काटेगी.

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