नयी दिल्ली : रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि रूस के साथ एस-400 ट्रायंफ मिसाइल प्रणाली की खरीद के लिए सौदा आगे बढ़ेगा. मॉस्को के साथ सैन्य लेन-देन पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद ऐसा होगा.
सीएएटीएसए (काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैन्कशंस ऐक्ट) का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र का नहीं बल्कि अमेरिकी कानून है. उन्होंने कहा कि भारत ने इस मुद्दे पर अमेरिका को अपने रुख से अवगत करा दिया है. सीतारमण ने यहां साउथ ब्लॉक स्थित अपने कार्यालय में संवाददाताओं से कहा, ‘रूस के साथ हमारा रक्षा संबंध कई दशकों से चल रहा है और हमने हाल में भारत यात्रा पर आये अमेरिकी कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल को इस बारे में बता दिया है.’ उन्होंने कहा कि एस-400 मिसाइलों की खरीद के लिए रूस के साथ बातचीत लगभग पूरी हो गयी है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि एस-400 मिसाइल सौदे पर हस्ताक्षर होने के बाद इसे लागू करने में ढाई से चार वर्ष लग सकते हैं. रोसाबोरोन एक्सपोर्ट समेत रूस की बड़ी रक्षा कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंधों के मद्देनजर भारत में चिंता बढ़ रही है. इस प्रतिबंध की वजह से अरबों डॉलर की सैन्य खरीद पर प्रभाव पड़ सकता है. साल 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में कथित तौर पर दखल देने के लिए अमेरिका ने रूस के खिलाफ कड़े कानून के तहत प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी. सीएएटीएसए के तहत डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के पास रूस के रक्षा या खुफिया प्रतिष्ठानों के साथ लेन-देन करने वाली कंपनियों को दंडित करने की शक्ति है.
भारत अपनी हवाई रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम मिसाइल प्रणाली को खरीदना चाहता है. भारत खासतौर पर 4000 किलोमीटर लंबी चीन-भारत सीमा की रक्षा के लिए इसे हासिल करना चाहता है. साल 2016 में भारत और रूस ने ‘ट्रायंफ’ मिसाइल प्रणाली की खरीद के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था. यह प्रणाली भारत की सीमा की तरफ आ रहे शत्रु देश के विमानों, मिसाइलों और ड्रोन को 400 किलोमीटर की दूरी तक मार गिरा सकता है. एस-400 को लंबी दूरी तक सतह से हवा में मार करने वाला रूस का सर्वाधिक आधुनिक हवाई रक्षा मिसाइल प्रणाली माना जाता है.
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