कुमार ने कहा, ‘मैंने अपना पहला रिकॉर्ड वर्ष 2014 में बनाया था, जब मैंने अपनी नाक से 103 अक्षर 46.30 सेकेंड में लिखे थे. इस तरह लिखने के लिए लिया गया यह सबसे कम समय था.’ नागलोई के रहने वाले कुमार का दूसरा रिकॉर्ड आंखें बंद कर अंग्रेजी वर्णमाला को 6.71 सेकेंड में लिखने का था. तीसरा रिकॉर्ड उन्होंने एक उंगली से 29.53 सेकेंड में वर्णमाला लिखकर बनाया.
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उन्होंने कहा, ‘मुझे गति में हमेशा से रुचि थी. मैं एथलीट बनना चाहता था. मैंने इसके लिए कड़ी मेहनत की, लेकिन स्वास्थ्य समस्याओं के चलते यह मुमकिन नहीं हो पाया. इसके बाद मैंने जेएनयू में आंकड़ा प्रविष्टि संचालक के तौर पर काम करना शुरू किया. यहां मुझे एहसास हुआ कि मैं टाइपिंग स्पीड में कई कीर्तिमान स्थापित कर सकता हूं.’ कुमार (38) समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर हैं और अपने घर पर कंप्यूटर सेंटर भी चलाते हैं, जहां वह गरीब और दिव्यांग बच्चों को कंप्यूटर सिखाते हैं.
जेएनयू के पर्यावरण विज्ञान संस्थान में कॉन्ट्रैक्ट कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में काम कर रहे विनोद का कहना है उनको गर्व है कि वह जो काम धावक के रूप में नहीं कर पाये, वह काम टाइपिस्ट के रूप में कर रहे हैं. आगे भी रिकॉर्ड कायम करने के लिए वह कोशिश करते रहेंगे. विनोद का कहना है एक धावक की तरह वह अपनी जिंदगी में संघर्ष कर रहे हैं. विनोद उन बच्चों को शारीरिक और मानसिक तौर पर भी तैयार कर रहे हैं, जो अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने का सपना देखते हैं.