जयपुर :वह दूसरों को पढ़ने के फायदे बताया करते थे, लेकिन खुद के कम पढ़े होने का एहसास मन को सदा कचोटता था. अपनी बेटियों को पढ़ता देख कर तसल्ली कर लेते थे, लेकिन फिर उन्हीं बेटियों की प्रेरणा से भाजपा के एक विधायक ने बचपन में छूटी अपनी पढ़ाई की डोर को पचपन साल की उम्र में फिर से थाम लिया.
राजस्थान के उदयपुर ग्रामीण से भाजपा विधायक फूल सिंह मीणा ने क्षेत्र की बालिकाओं को शिक्षित करने की मुहिम चलायी और फिर अपनी पांच शिक्षित बेटियों के कहने पर खुद भी दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई पूरी की. अब वह स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं. 55 वर्षीय मीणा ने बताया कि सेना में कार्यरत पिता की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी के बोझ के कारण उन्होंने मजबूरी में पढ़ाई छोड़ कर खेती की और परिवार का पालन पोषण किया.
विधायक फूल सिंह मीणा ने बताया कि बेटियों ने वर्ष 2013 में ओपन स्कूल से 10वीं कक्षा के लिए फार्म भर दिया, लेकिन विधायक बनने के बाद व्यस्तता के कारण वह 2014 में परीक्षा नहीं दे पाये, बेटियों ने 2015 में फिर से फार्म भर दिया और 10वीं की परीक्षा पास कर ली. 2016-2017 में वह 12 वीं पास की और स्नातक की शिक्षा के पहले वर्ष की परीक्षा दे चुके हैं. विधायक मीणा का मानना है कि अगर जनप्रतिनिधि शिक्षित होगा तभी वह पूरी ईमानदारी से अन्य लोगों को शिक्षित होने के लिये प्रेरितकर सकेगा.
एससी वर्ग की बालिकाओं को करायी नि:शुल्क हवाई यात्रा
विधायक फूल सिंह मीणा ने कहा है कि इस वर्ष किसी भी वर्ग की बालिका यदि 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करेगी तो उसे नि:शुल्क हवाई यात्रा कराई जायेगी. उन्होंने कहा कि 2013 में राजनीति में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ मुहिम के तहत आदिवासी क्षेत्र की बालिकाओं को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया और एससी वर्ग की बालिकाओं को माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में 80 प्रतिशत से अधिक अंक लाने पर उदयपुर से जयपुर की हवाई यात्रा कराने की घोषणा की. 2016 में दो छात्राओं के 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने पर उन्हें नि:शुल्क हवाई यात्रा करायी गयी, जबकि 2017 में छह छात्राओं को नि:शुल्क हवाई यात्रा के साथ-साथ मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल के सदस्यों से मुलाकात करवाया.
बेटियों ने किया पढ़ाई करने के लिए प्रेरित
मीणा ने कहा कि दूसरों को शिक्षा की ओर प्रेरित करते समय उन्हें खुद का शिक्षित नहीं होना बहुत कचोटता था. बचपन में वह सिर्फ सातवीं कक्षा तक पढ़ाई कर पाये थे. उनकी इस दुविधा के बीच उनकी बेटियों ने उन्हें फिर से पढ़ने के लिए प्रेरित किया.
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