कोर्ट ने कहा, रेप मामले में नाबालिग की हां कानून की नजर में सहमति नहीं
ठाणे (महाराष्ट्र) : अदालत ने 2015 में एक किशोरी के साथ बलात्कार के दोष में 31 वर्षीय व्यक्ति को सात साल सश्रम कारावास की सजा सुनाते हुए कहा कि किसी नाबालिग की हामी ‘कानून की नजर में आपसी सहमति नहीं है.’ जिला जज पी. पी. जाधव ने 12 सितंबर के अपने आदेश में दोषी देवेंद्र […]
By Prabhat Khabar Digital Desk | September 25, 2018 12:05 PM
ठाणे (महाराष्ट्र) : अदालत ने 2015 में एक किशोरी के साथ बलात्कार के दोष में 31 वर्षीय व्यक्ति को सात साल सश्रम कारावास की सजा सुनाते हुए कहा कि किसी नाबालिग की हामी ‘कानून की नजर में आपसी सहमति नहीं है.’ जिला जज पी. पी. जाधव ने 12 सितंबर के अपने आदेश में दोषी देवेंद्र गुप्ता को अवैध तरीके से किसी की संपत्ति में घुसने के मामले में भी एक साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई. अदालत ने कहा कि दोनों सजा साथ-साथ चलेंगी.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, घटना दो अक्तूबर, 2015 की है. उस वक्त 11वीं की छात्रा 16 वर्षीय पीड़िता घर में अकेली थी. घटना के वक्त किशोरी खाना पका रही थी, तभी आरोपी उसके घर में घुसा और दरवाजा बंद कर लिया. उसी इलाके में रहने वाले आरोपी ने किशोरी के साथ बलात्कार किया. किशोरी की मां ने जब दरवाजा खटखटाया तो आरोपी डर गया और मकान में ही छुप गया. किशोरी ने अपनी मां के लिए दरवाजा खोला और पूरी घटना के बारे में उन्हें बताया.
इस संबंध में किशोरी की मां ने थाने में शिकायत दर्ज करायी. जज जाधव का कहना है कि यह बात सामने आयी है कि घटना से पहले भी आरोपी कई बार किशोरी के साथ यौन संबंध बना चुका था. हालांकी किशोरी को इसके दुष्परिणामों का पता नहीं था. जज ने कहा, ‘पीड़िता की उम्र को ध्यान में रखते हुए, ऐसे हालात में उसकी हामी, कानून की नजर में सहमति नहीं है.’ अदालत ने दोषी पर 15,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है.