ईटानगर/ नयी दिल्ली : इस जुलाई के महीने में चीनी सैनिकों का एक समूह अरुणाचल प्रदेश की दिबांग घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा पार कर कुछ वक्त के लिए भारत की तरफ आ गया, लेकिन भारतीय सुरक्षा कर्मियों के आपत्ति जताने पर वे वापस चले गये.
सरकारी सूत्रों ने बताया कि यह ‘उल्लंघन नहीं था’ और वास्तविक नियंत्रण रेखा की अलग-अलग धारणा के कारण चीनी सेना के कर्मी भारतीय क्षेत्र में आ गये थे. सूत्रों ने बताया कि घटना 25 जुलाई के आसपास की है. ईटानगर में सूत्रों ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश से लोकसभा सदस्य निनोंग इरिंग ने मीडिया रिपोर्टों और दिबांग घाटी में स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के आधार पर घटना के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है. पत्र में उन्होंने कहा कि सरकार को अरुणाचल प्रदेश में ‘चीनी उल्लंघन’ के मुद्दे को बीजिंग के साथ उठाना चाहिए. चीन की सेना के करीब 300 सैनिकों ने जुलाई के शुरू में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के देमचोक इलाके में घुसपैठ की थी और चार तंबू गाड़ लिये थे. वे खानाबदोशों के रूप में भारतीय क्षेत्र में आये थे और तंबू गाड़ लिये थे. भारत के विरोध के बाद चीनी सेना के कर्मी बाद में वहां से चले गये थे.
अधिकारियों ने बताया कि ऐसे उल्लंघन असामान्य नहीं है क्योंकि चीन और भारत दोनों की ही वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर अलग-अलग धारणाएं हैं. भारत नियमित तौर पर ऐसी सभी घटनाओं को चीनी अधिकारियों के साथ उचित स्तर पर उठाता है. भारत और चीन की करीब 4000 किलोमीटर लंबी सरहद है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, चीनी सेना द्वारा उल्लंघन कर भारतीय क्षेत्र में आने की घटनाएं 2017 में बढ़कर 426 हो गयी थी जो 2016 में 273 थी.
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