देहरादून : उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा वयोवृद्ध कांग्रेस नेता नारायण दत्त तिवारी का रविवार को हल्द्वानी में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया.
हल्द्वानी में गोला नदी के किनारे चित्रशिला घाट पर तिवारी को उनके पुत्र रोहित शेखर तिवारी ने मुखाग्नि दी. इस दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तथा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सहित कांग्रेस और भाजपा के कई नेताओं के साथ भारी संख्या में आमजन भी मौजूद थे. इससे पहले, दिवंगत नेता का शव काठगोदाम सर्किट हाउस में अंतिम दर्शनों के लिये रखा गया जहां कई नेताओं और उनके प्रशंसकों ने उनके शव पर फूल चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके तिवारी का लंबी बीमारी के बाद नयी दिल्ली के साकेत स्थित एक निजी अस्पताल में 18 अक्टूबर को देहांत हो गया था. इस मौके पर दिवंगत नेता को अंतिम विदाई देने पहुंचे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि तिवारी ने दीर्घकाल तक देश की सेवा की है और आजादी के दौर में लाठियां खाने और राजनीति शुरू करने वाली उस पीढी के अब गिने—चुने नेता ही बचे हैं.
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की पहली निर्वाचित सरकार की बागडोर भी दिवंगत नेता ने संभाली थी. उन्होंने कहा,’ तिवारी की पहली प्राथमिकता विकास ही रही और इसलिये वह विकास पुरुष कहलाये. उनका जाना प्रदेश और देश के लिये एक रिक्तता पैदा कर गया है.
तिवारी ने विकास के मुददे पर दलगत राजनीति से उपर उठकर काम किया.’ रावत ने कहा कि वह वह विशाल ह्रदय के व्यक्ति थे और अति विनम्र थे और इस कारण कभी—कभी लोग उनके साथ उचित व्यवहार नहीं करते थे.
उन्होंने कहा कि उन्होंने कई बार महसूस किया कि लोगों के ऐसे व्यवहार के कारण वह उठकर चले जाते थे लेकिन कभी उन्होंने इसका प्रतिरोध नहीं किया.
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