हैदराबाद : तेलंगाना में सात दिसंबर को होनेवाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान के दौरान आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेदेपा सुप्रीमो एन चंद्रबाबू नायडू तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और भाजपा दोनों के ही निशाने पर हैं.
तेलंगाना की 119 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के लिए पड़ोस के आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ तेदेपा और कांग्रेस के बीच चुनाव पूर्व हुआ गठबंधन भी टीआरएस और भाजपा के निशाने पर है और वे बार-बार इसे ‘नापाक’ गठबंधन करार दे रहे हैं. टीआरएस और भाजपा के नेता सवाल पूछ रहे हैं कि कांग्रेस के विरोध और तेलुगु आत्म सम्मान को बनाये रखने के लिए अभिनय की दुनिया से राजनीति में आये एनटीआर द्वारा 1982 में गठित पार्टी तेदेपा उसी कांग्रेस के साथ हाथ कैसे मिला सकती है. दोनों दलों के नेताओं ने आरोप लगाया कि अगर कांग्रेस-तेदेपा गठबंधन तेलंगाना में सत्ता में आता है, तो अमरावती से चंद्रबाबू नायडू ही राज्य की सरकार चलायेंगे.
कांग्रेस और तेदेपा नेता उनके तर्कों का जोरदार खंडन करते हुए कहते हैं कि उन्होंने भाजपा की ‘विभाजनकारी और विनाशकारी राजनीति’ के खिलाफ और टीआरएस सरकार के ‘कुशासन’ को समाप्त करने के लिए हाथ मिलाया है जिसने अपने ‘झूठे वादों’ से समाज के सभी वर्गों को परेशान किया है. तेलंगाना भाजपा के प्रवक्ता कृष्ण सागर राव ने दावा किया कि कांग्रेस तेदेपा के हाथों बिक चुकी है. उन्होंने आरोप लगाया कि तेलंगाना कांग्रेस को नायडू चला रहे हैं. उन्होंने को बताया, कांग्रेस और तेदेपा के प्रत्याशियों को नायडू से निर्देश मिल रहे हैं. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वह आर्थिक और प्रशासनिक दोनों तरीके से तेलंगाना कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रायोजक हैं.
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