गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी, जिसके तहत, उन दिनों प्रचलन में रहे 500 और एक हजार रुपये के नोट तत्काल प्रभाव से चलन से बाहर हो गए थे. नोटबंदी के ऐलान से नकदी संकट पैदा हो गया और बैंकों में पुराने नोट बदलने के लिए लोगों की लंबी-लंबी कतारें लग गई थीं.
केजरीवाल ने ट्विटर पर कहा, मोदी सरकार के वित्तीय घोटालों की सूची अंतहीन है, नोटबंदी भारतीय अर्थव्यवस्था को खुद से दिये गये गहरे घाव की तरह है. दो साल पूरा होने के बाद भी यह रहस्य बना हुआ है कि देश को इस आपदा में क्यों धकेला गया था.
आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा, जैसे 9/11 (अमेरिकी आतंकी हमला) को अमेरिका के इतिहास में दर्दनाक और अत्यंत दुख के दिन के रूप में याद किया जाता है, हम भारतीय 8/11 को हमारी अर्थव्यवस्था को झकझोरने वाली त्रासदी के रूप में याद करते हैं.
उन्होंने नोटबंदी को आजाद भारत की सबसे बड़ी आर्थिक नाकामी करार दिया और दावा किया कि इसकी वजह से 35 लाख लोगों की नौकरियां गईं जबकि 115 लोगों की लंबी कतारों में मौत हो गई जिसके लिए कोई मुआवजा नहीं दिया गया.