रविशंकर प्रसाद का वार : कांग्रेस ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के दोषियों को बचाने का किया भरपूर प्रयास

नयी दिल्ली : सिख विरोधी दंगा मामले में एक दोषी को फांसी की सजा सुनाने के अदालत के फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए भाजपा ने बुधवार को आरोप लगाया कि सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस के नेताओं के शामिल होने के कारण पार्टी ने दोषियों को बचाने का भरपूर प्रयास किया. भाजपा के वरिष्ठ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 21, 2018 5:18 PM
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नयी दिल्ली : सिख विरोधी दंगा मामले में एक दोषी को फांसी की सजा सुनाने के अदालत के फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए भाजपा ने बुधवार को आरोप लगाया कि सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस के नेताओं के शामिल होने के कारण पार्टी ने दोषियों को बचाने का भरपूर प्रयास किया. भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा कि पिछले करीब 35 साल में कांग्रेस पार्टी द्वारा योजनाबद्ध और सुनियोजित तरीके से इस बात की पूरी कोशिश की गयी कि 1984 के नरसंहार के आरोपियों के खिलाफ कोई प्रमाणिक कार्रवाई नहीं हो.

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उन्होंने कांग्रेस नेता कमलनाथ पर भी निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस को जवाब देना होगा कि उन्हे पंजाब के प्रभारी पद से एक हफ्ते के अंदर क्यों हटाया. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपने भाषण में कहा था कि जब बरगद का पेड़ गिरता है, तो धरती हिलती है. इससे बड़ा गैर-जिम्मेदाराना बयान और कोई नहीं हो सकता. कांग्रेस पार्टी ने आज तक उनके इस भाषण से अपने आप को अलग नहीं किया है, लेकिन यह जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है.

प्रसाद ने कहा कि कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसको लेकर खेद जताया था, लेकिन जिस प्रकार का मरहम लगाने की कोशिश होनी चाहिए, वैसा नहीं हुई. मरहम सिखों को न्याय दिलाकर लगाया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. उन्होंने जोर दिया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने जो इस मुद्दे पर 2015 में एसआईटी बनायी थी, उसी के कारण अदालत से जल्द फैसला आया है.

उन्होंने कहा कि 1984 के नरसंहार के मामले में मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत ने दो अपराधियों में से एक को फांसी और एक को उम्र कैद की सजा सुनायी है. इस फैसले से हमें संतोष है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा बनाया गये वेद मारवाह कमीशन के काम को रोक दिया गया था. वहीं, रंगनाथ मिश्रा कमीशन ने कहा था कि इसमें कोई षड्यंत्र नहीं था और उसके बाद उन्हें राज्यसभा भेज दिया गया था. कपूर मित्तल कमिटी ने 72 पुलिसकर्मियों को दोषी बताया था, लेकिन उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं हुई.

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