नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कारोबारी विजय माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने के लिए मुंबई की एक अदालत में चल रही कार्यवाही को चुनौती देनेवाली उसकी याचिका पर शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय को नोटिस जारी किया.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने विजय माल्या की याचिका पर नोटिस जारी किया, लेकिन उसने मुंबई की धन शोधन मामले की रोकथाम संबंधी विशेष अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. प्रवर्तन निदेशालय ने विशेष अदालत से लंदन में रह रहे कारोबारी माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने का अनुरोध किया है. इस कानून के तहत यदि किसी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया गया, तो उस पर मुकदमा चलाने वाली एजेंसी को उसकी संपत्ति जब्त करने का अधिकार होता है. माल्या की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता फली नरिमन को सुनने के बाद पीठ ने अपने आदेश में कहा, नोटिस, कोई रोक नहीं.
मार्च 2016 में ब्रिटेन भाग गये विजय माल्या किंगफिशर एयरलाइंस को कई बैंकों द्वारा दिये गये नौ हजार करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान नहीं करने के मामले में भारत में वांछित है. सितंबर में ब्रिटेन की अदालत ने विजय माल्या को करीब नौ हजार करोड़ रुपये के धन शोधन और धोखाधड़ी के आरोपों में मुकदमे का सामना करने के लिए भारत को सौंपने के सवाल पर फैसले के लिए दस दिसंबर की तारीख निर्धारित की थी. माल्या ने बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है. उच्च न्यायालय ने हाल ही में धन शोधन मामलों की विशेष अदालत में माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने के प्रवर्तन निदेशालय के अनुरोध पर रोक लगाने के लिए दायर उसकी याचिका खारिज कर दी थी. इससे पहले, विशेष अदालत ने 30 अक्तूबर को माल्या की अर्जी खारिज कर दी थी.
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