नायडू ने मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा ‘‘कुछ सदस्य मीडिया में साक्षात्कार देने की हद तक जाकर कह रहे है कि सदन में गतिरोध दूर करने के लिये सभापति कुछ नहीं कर रहे हैं.” उन्होंने स्पष्ट किया, ‘‘सदन के रिकार्ड से स्पष्ट है कि मैंने हंगामा कर रहे सदस्यों से दस से अधिक बार बात की. इनमें से कुछ सदस्यों से मैंने व्यक्तिगत तौर पर भी बात करने के अलावा नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष से भी बातचीत की.” नायडू ने स्पष्ट किया कि उन्होंने गतिरोध दूर करने के लिये अन्य विपक्षी दलों के नेताओं से भी बात की.
उन्होंने सदस्यों द्वारा आसन की बात नहीं मानने पर दुख व्यक्त करते हुये कहा ‘‘हम काम करने में अक्षम साबित होकर सकारात्मक संदेश नहीं दे रहे हैं.” नायडू ने कहा कि पिछले 14 दिनों के दौरान तीन दिन अवकाश करना पड़ा. उन्होंने कहा कि अवकाश के लिये आम सहमति कायम हो जाती है लेकिन सदन के कामकाज की बात पर तमाम सदस्यों के बीच अनेक मुद्दे उभर कर सामने आ जाते हैं. इसके बाद नायडू ने नियम 267 के तहत विधायिका में महिला आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा कराने का नोटिस मिलने की जानकारी देते हुये कहा कि यह मुद्दा महत्वपूर्ण है लेकिन इस पर शून्यकाल या किसी अन्य नियम के तहत चर्चा हो सकती है.
उन्होंने कहा कि सबरीमाला सहित अन्य अहम मुद्दों पर चर्चा के लिये नोटिस मिले हैं लेकिन समय के अभाव के कारण इन्हें स्वीकार कर पाना मुमकिन नहीं है। इसके बाद नायडू ने शून्यकाल की चर्चा शुरू करायी. इस सत्र में पहली बार संपन्न हुए शून्यकाल में 21 सदस्यों ने लोकमहत्व के विभिन्न मुद्दों को उठाया.