अयोध्या मामले में मध्यस्थता समिति के गठन का कांग्रेस ने किया स्वागत

नयी दिल्ली : कांग्रेस ने अयोध्या मामले में सर्वमान्य समाधान निकालने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट की ओर से तीन सदस्यीय समिति गठित किये जाने का शुक्रवार को स्वागत किया. हालांकि, आरोप लगाया कि भाजपा ने राजनीतिक लाभ के लिए पिछले 27 बरस से आस्था से जुड़े मुद्दे का राजनीतिकरण किया है. पार्टी के मुख्य […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 8, 2019 7:29 PM
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नयी दिल्ली : कांग्रेस ने अयोध्या मामले में सर्वमान्य समाधान निकालने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट की ओर से तीन सदस्यीय समिति गठित किये जाने का शुक्रवार को स्वागत किया. हालांकि, आरोप लगाया कि भाजपा ने राजनीतिक लाभ के लिए पिछले 27 बरस से आस्था से जुड़े मुद्दे का राजनीतिकरण किया है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में यह भी कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला करता है, वही अंतिम होना चाहिए और उसे सभी पक्षों को मानना चाहिए.

इसे भी देखें : 1885 से चल रहा है राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद

उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट की ओर से मध्यस्थता समिति गठित किये जाने का स्वागत करते हैं. सुरजेवाला ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि दुखद है कि भाजपा ने आस्था से जुड़े विषय का चुनावी लाभ के लिए 27 बरस से राजनीतिकरण किया है. 1992 से भाजपा ने इस मुद्दे को जीवित रखा है, ताकि इसे हर चुनाव में वोट हासिल करने के लिए इस्तेमाल किया जा सके.

उन्होंने दावा किया कि चुनाव के बाद भाजपा राम मंदिर के मुद्दे को किनारे लगा देती है और चुनाव के समय उसे फिर सामने ला देती है. हम आशा करते हैं कि देश की जनता भाजपा के दोहरेपन को समझेगी. सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद का सर्वमान्य हल खोजने के लिए शुक्रवार को शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति गठित कर दी. इस समिति को आठ सप्ताह के भीतर मध्यस्थता की कार्यवाही पूरी करनी है.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मध्यस्थता के लिए गठित समिति के अन्य सदस्यों में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू शामिल हैं. पीठ ने कहा कि समिति की जरूरत हो, तो इसमें और सदस्य शामिल कर सकती है.

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