अहमदाबाद : कांग्रेस कार्यसमिति की यहां बैठक से एक दिन पहले जामनगर (ग्रामीण) से विधायक वल्लभ धारविया ने सोमवार को पार्टी छोड़ दी और गुजरात विधानसभा से अपना इस्तीफा दे दिया. इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गये. पिछले चार दिनों में कांग्रेस के तीन विधायकों ने इस्तीफा दिया है.
विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, धारविया ने जामनगर (ग्रामीण) के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने मुझे बताया कि वह स्वेच्छा से इस्तीफा दे रहे हैं. यह धारविया के लिए एक घर वापसी है. 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस में जाने और विपक्षी पार्टी के टिकट पर जीतने से पहले वह भाजपा के साथ थे. भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा, मैं मूल रूप से भाजपा का सिपाही हूं. मैंने इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में काम किया था. मैं अंदरूनी कलह की वजह से कांग्रेस छोड़ रहा हूं. मैंने महसूस किया है कि केवल भाजपा ही लोगों की भलाई कर सकती है. उन्होंने कहा, पाकिस्तान (आतंकी शिविर) पर हाल में (26 फरवरी) को हवाई हमलों के बाद मैंने महसूस किया कि मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में फिर से निर्वाचित होना चाहिए. कांग्रेस में इस तरह का नेतृत्व नहीं है.
धारविया के इस्तीफे से पहले उनकी पार्टी के पूर्व सहयोगी पुरुषोत्तम सबारिया ने आठ मार्च को ध्रांगधरा विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया था. वह सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो गये थे. सबारिया को सिंचाई घोटाले के संबंध में गत वर्ष अक्तूबर में गिरफ्तार किया गया था और गुजरात उच्च न्यायालय से उन्हें फरवरी में जमानत मिली थी. सबारिया ने कहा कि उन पर भाजपा में शामिल होने का दबाव नहीं था और साथ ही दावा किया था कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए पार्टी बदल रहे हैं. आठ मार्च को माणवदर से कांग्रेस विधायक जवाहर चावड़ा ने भी विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था और वह भी भाजपा में शामिल हो गये थे. उन्हें नौ मार्च को विजय रुपाणी सरकार में मंत्री बनाया गया था. पिछले कुछ महीने में गुजरात में इस्तीफा देनेवाले कांग्रेस विधायकों की संख्या पांच हो गयी है.
इन पांच विधायकों के अलावा कांग्रेस ने एक और विधायक गंवा दिया जब भगवान बराड़ को पांच मार्च को सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया. उन्हें अवैध खनन मामले में दो साल की जेल की सजा सुनायी गयी थी. पिछले साल जुलाई में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक कुंवरजी बावलिया ने भी इस्तीफा दे दिया था और उन्हें बाद में राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया. वह तब भाजपा के टिकट पर उपचुनाव जीते थे. पिछले महीने उंझा से पहली बार विधायक बनी आशा पटेल ने सदन और कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और वह सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो गयी थीं. भाजपा के पास अब 182 सदस्यीय विधानसभा में 100 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 71 विधायक हैं.
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