पासवान ने कहा, महंगाई पर नियंत्रण के लिए राज्यसरकारें राजनीति से ऊपर उठें

नयी दिल्ली: खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने गहरी चिंता जताते हुए. राज्य सरकारों को उन पर कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है. जमाखोरी को ‘राष्ट्र विरोधी’ गतिविधि बताते हुए खाद्य मंत्री रारमविलास पासवान ने आज राज्य सरकारों से कहा कि वे महंगाई पर नियंत्रयण के लिए राजनीति से उपर उठ कर काम करें और आवश्यक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 4, 2014 6:41 PM
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नयी दिल्ली: खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने गहरी चिंता जताते हुए. राज्य सरकारों को उन पर कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है. जमाखोरी को ‘राष्ट्र विरोधी’ गतिविधि बताते हुए खाद्य मंत्री रारमविलास पासवान ने आज राज्य सरकारों से कहा कि वे महंगाई पर नियंत्रयण के लिए राजनीति से उपर उठ कर काम करें और आवश्यक कानून को प्रभावी ढंग से लागू करें.

उन्होंने कहा कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में मौजूदा उछाल जमाखोरों द्वारा पैदा किया गया है और यह अस्थायी घटनाक्रम है. पासवान ने कहा, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना राष्ट्रीय मुद्दा है. संघीय ढांचे में कीमतों पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य दोनों की है. केंद्र और राज्यों के बीच कोई टकराव नहीं होना चाहिये. हमें इस मसले पर राजनीतिक लाभ नहीं लेना चाहिये.

उन्होंने कहा कि आवश्यक जिंस कानून अस्तित्व में है. मसला यह है कि कितना प्रभावी ढंग से इस कानून को लागू किया जा सकता है. उन्होंने राज्य सरकारों से कहा कि वे कीमतों पर अंकुश लगाने और आपूर्ति बढाने के लिए जमाखोरों और कालाबाजारियों के खिलाफ कानून को प्रभावी ढंग से लागू करें.पासवान ने खाद्य मुद्रास्फीति पर राज्य के खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रियों के एक सम्मेलन में कहा, हमें उन जमाखोरों के खिलाफ ठोस योजना बनानी चाहिये जो उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ राष्ट्र विरोधी हरकतें कर रहे हैं. पासवान ने कहा कि केंद्र सरकार कीमतों को नियंत्रित करने के लिए प्याज और आलू के न्यूनतम निर्यात मूल्य को बढाने जैसे कई कदम उठाये हैं लेकिन इसका दीर्घावधिक समाधान राष्ट्रीयकृत बाजार के विकास में है.

पासवान ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बाजार, किसानों को अपने उत्पादों को उन्मुक्त होकर बेचने की अनुमति देगा. मौजूदा समय में किसानों को कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) की मंडियों में अपने उत्पादों के लिए विभिन्न शुल्क और कर देने होते हैं. उन्होंने कहा कि कम उत्पादन वाले मौसम में प्याज और आलू के लिए भंडारण सुविधाओं की स्थापना करने की आवश्यकता है.सम्मेलन में कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने राज्य सरकारों को बाजार एकीकरण, बाजार आधारभूत ढांचा और बाजार सूचना का सुदृढीकरण करने पर ध्यान केन्द्रित करने की अपील की.

इस मौके पर महाराष्ट्र के खाद्य मंत्री अनिल देशमुख ने कहा, केंद्र सरकार मुद्रास्फीति के नियंत्रण की जिम्मेदारी से बचने का प्रयास कर रही है. वह कीमत वृद्धि का सारा आरोप राज्य सरकारों पर मढना चाहती है. मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की पूरी जिम्मेदारी केंद्र की है. राज्य सरकारें निश्चित रुप से केंद्र की मदद करेंगी. उन्होंने कम उत्पादन की अवधि के दौरान मांग को पूरा करने के लिए प्याज के वैज्ञानिक भंडार गृहों की स्थापना का और आवश्यक जिंस कानून के तहत किये गये अपराध को गैर जमानती अपराध बनाने का सुझाव दिया.

बिहार के खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री श्याम रजक ने सुझाव दिया कि कीमतों को अंकुश में रखने के लिए जमाखोरी के खिलाफ कानून को अधिक सख्त किया जाना चाहिये. ओडीशा के खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण मंत्री संजय कुमार दास बर्मा ने प्याज के निर्यात को प्रतिबंधित करने का सुझाव दिया क्योंकि इस जिंस पर मौजूदा न्यूनतम निर्यात मूल्य का प्रभाव कम पड रहा है.

ओडीशा ने एपीएमए कानून से सब्जी और फल दोनों को गैर सूचीबद्ध करने का फैसला किया है और इस संबंध में अधिसूचना जल्द ही जारी की जायेगी. केंद्र सरकार ने विगत कुछ दिनों में प्याज और आलू जैसे रसोई में इस्तेमाल होने वाले वस्तुओं पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया था और इन दो वस्तुओं के स्टॉक रखने की एक निश्चित सीमा तय की थी. केंद्र ने गरीबों को राहत देने के लिए राशन की दुकानों के जरिये अतिरिक्त 50 लाख टन चावल को भी जारी किया था.

सरकार ने आज कहा कि प्याज, आलू, चावल, दलहन और दूध की कीमतें हाल के दिनों में बढी हैं लेकिन विचलित हेने की कोई आवश्यकता नहीं है. दिल्ली के खुदरा बाजार में प्याज की कीमत बढकर 31 रुपये प्रति किग्रा हो गई है जो कीमत पिछले महीने 21 रुपये प्रति किग्रा थी और आलू 28 रुपये प्रति किग्रा की दर से बेचा जा रहा है जो पहले 22 रुपये प्रति किग्रा था. पासवान ने जनता को राहत देने की हरसंभव कोशिश का आश्वासन दिया.

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