राफेल डील : रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के लिए तैयार सुप्रीम कोर्ट, केंद्र सरकार की आपत्तियों को खारिज किया
नयी दिल्ली : राफेल डील मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार को बड़ा झटका दिया. सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि जो दस्तावेज कोर्ट में पेश किये गये वे सभी मान्य होंगे. केंद्र सरकार उन दस्तावेजों पर अपनी आपत्ति जता रही है. केंद्र सरकार कुछ दस्तावेजों को चोरी का बताकर […]
By Prabhat Khabar Digital Desk | April 10, 2019 11:05 AM
नयी दिल्ली : राफेल डील मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार को बड़ा झटका दिया. सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि जो दस्तावेज कोर्ट में पेश किये गये वे सभी मान्य होंगे. केंद्र सरकार उन दस्तावेजों पर अपनी आपत्ति जता रही है. केंद्र सरकार कुछ दस्तावेजों को चोरी का बताकर उनपर आपत्ति जता रही है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी आपत्तियों को खारिज कर दिया.
Supreme Court allows admissibility of three documents in Rafale deal as evidence in re-examining the review petitions filed against the SC's December 14 judgement refusing to order probe in procuring 36 Rafale fighter jets from France. https://t.co/zqqdrTx8YS
इन दस्तावेजों पर केंद्र सरकार ने ‘‘विशेषाधिकार’ का दावा किया था. केंद्र ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने विशेष दस्तावेज गैरकानूनी तरीके से हासिल किए और 14 दिसंबर, 2018 के निर्णय को चुनौती देने के लिए इसका प्रयोग किया गया. इस फैसले में न्यायालय ने फ्रांस से 36 राफेल विमान सौदे को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की एक पीठ ने कहा, ‘हम केंद्र द्वारा समीक्षा याचिका की स्वीकार्यता पर उठाई प्रारंभिक आपत्ति को खारिज करते हैं.’
शीर्ष अदालत ने कहा कि 14 दिसंबर को राफेल विमान की खरीद से जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज करने संबंधी करने के फैसले पर दायर सभी पुनर्विचार याचिकाओं पर गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जाएगा. न्यायालय ने कहा कि वह राफेल पर पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई के लिए तारीख तय करेगा. शीर्ष अदालत ने 14 मार्च को उन विशेषाधिकार वाले दस्तावेजों की स्वीकार्यता पर केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों पर फैसला सुरक्षित रखा था जिन्हें पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा वकील प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका में शामिल किया था.