उल्लेखनीय है कि इस साल के अंत या अगले साल के शुरू में दिल्ली विधानसभा के संभावित चुनाव के मद्देनजर आप के लिए इस चुनाव को दिल्ली की दौड़ के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा था. आप को फरवरी 2015 में दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीट पर ऐतिहासिक बहुमत मिला था.
आप ने दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में लोकसभा चुनाव मैदान में अपने उम्मीदवार उतारे थे. सिर्फ पंजाब में एक सीट को छोड़कर पार्टी के सभी उम्मीदवार चुनाव हार गये. पार्टी की पंजाब इकाई के संयोजक और संगरुर से मौजूदा सांसद भगवंत मान ही अपनी सीट बचा पाने में कामयाब रहे.
राय ने कहा, ‘लोकसभा चुनाव में मिले जनादेश को हम सम्मान के साथ स्वीकार करते हैं. हम चुनाव परिणाम का मंथन भी कर रहे हैं.’ उन्होंने बताया कि दिल्ली की सात सीटों के चुनाव परिणाम के बारे में पार्टी ने अपने सभी प्रत्याशियों के साथ विधानसभा क्षेत्रों के आधार पर प्रदर्शन पर चर्चा की. राय ने कहा कि इसके आधार पर पार्टी इस नतीजे पर पहुंची है कि पूरे देश में चुनाव ‘मोदी बनाम राहुल’ आधार पर लड़ा गया और दिल्ली में भी इस स्थिति के कारण पूर्ण राज्य का मुद्दा अनसुना रह गया.
राय ने कहा कि चर्चा में एक और बात सामने आयी कि भाजपा और कांग्रेस को वोट देने वाले मतदाता दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप को ही वोट देना के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने बताया कि चुनाव परिणाम की समीक्षा के लिए पार्टी ने 26 मई को कार्यकर्ताओं के साथ केजरीवाल का ‘संवाद कार्यक्रम’ आयोजित किया है.
इसमें केजरीवाल पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सीधे संवाद करेंगे. इसके अलावा केजरीवाल, आप की प्रदेश इकाईयों के संयोजकों और अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठक कर आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति तय करेंगे.