Doctors Strike : गृह मंत्रालय ने ममता सरकार से मांगी रिपोर्ट, राजनीतिक हिंसा पर भी अलग से मांगा ब्यौरा

कोलकाता/दिल्ली :केंद्र ने पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा और वहां चल रही डॉक्टरों की हड़ताल पर राज्य सरकार से अलग-अलग रिपोर्ट मांगी है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. केंद्र ने शनिवार को यह कदम उठाया. राज्य में पिछले चार बरसों में राजनीतिक हिंसा में लगभग 160 लोग मारे गए हैं. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 15, 2019 11:20 AM
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कोलकाता/दिल्ली :केंद्र ने पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा और वहां चल रही डॉक्टरों की हड़ताल पर राज्य सरकार से अलग-अलग रिपोर्ट मांगी है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. केंद्र ने शनिवार को यह कदम उठाया. राज्य में पिछले चार बरसों में राजनीतिक हिंसा में लगभग 160 लोग मारे गए हैं. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर और दोषियों को न्याय के दायरे में लाने के लिए इस तरह की घटनाओं की जांच के संबंध में राज्य सरकार से एक रिपोर्ट मांगी गयी है. अधिकारी ने बताया कि पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की चल रही हड़ताल पर भी एक अन्य विस्तृत रिपोर्ट मांगी गयी है. राज्य में डॉक्टरों की हड़ताल से चिकित्सा सेवाएं चरमरा गयी हैं.

वहीं इसमामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है और यह निर्देश दिया है कि डॉक्टरों पर हमला करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाये. स्वास्थ्य मंत्री ने चिट्ठी में मुख्यमंत्रियों से डॉक्टरों, चिकित्सीय पेशेवरों की रक्षा करने के लिए विशिष्ट कानून लागू करने पर विचार करने को भी कहा है.

इधर ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी घायल जूनियर डॉक्टर से मिलने जा सकती हैं. उन्होंने आज शाम बातचीत का आमंत्रण भी दिया था, जिसे ठुकरा दिया गया है. डॉक्टर्स का कहना है कि वे सचिवालय जाकर कोई मीटिंग नहीं करेंगे, उन्हें डॉक्टर्स के पास आना होगा.

इधर राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मेडिकल सुपरिडेंडेंट वीके तिवारी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि रेसिडेंट डॉक्टर आज हड़ताल पर हैं. लेकिन उन्होंने सिर्फ ओपीडी में काम बंद किया है. इमरजेंसी सर्विस चल रही है. मैं पश्चिम बंगाल में डॉक्टर्स के साथ जो कुछ हुआ उसकी निंदा करता हूं.

नॉर्दन रेलवे सेंट्रल अस्पताल, दिल्ली के डॉक्टर भी कोलकाता में डॉक्टर्स के साथ हुई मारपीट के विरोध में हड़ताल पर रहे और प्रदर्शन किया.पश्चिम बंगाल में आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टर्स के हड़ताल को पूरे देश के डॉक्टर्स का समर्थन मिल रहा है. आज उनका साथ देने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल स्वास्थ्यमंत्री हर्षवर्द्धन से मिला और इस मामले में उनसे हस्तक्षेप की मांग की. वहीं एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने बंगाल सरकार से यह मांग की कि वे हड़ताली डॉक्टरों की मांगों को 48 घंटे के अंदर पूरा करें, अन्यथा वे एम्स में अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे.

हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने राज्य सचिवालय में शनिवार शाम में बैठक का ममता बनर्जी का आमंत्रण ठुकरा दिया और कहा कि मुख्यमंत्री को पहले माफी मांगनी होगी. डॉक्टरों की हड़ताल शनिवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गई. मुख्यमंत्री ने गतिरोध का समाधान निकालने के लिए राज्य सचिवालय में डॉक्टरों को बैठक में आमंत्रित किया था. एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में अपने दो सहकर्मियों पर हमले के विरोध में हड़ताल पर गए डॉक्टरों ने शुक्रवार को कहा कि ममता बनर्जी को बिना शर्त माफी मांगनी होगी. इसके साथ ही उन्होंने अपनी हड़ताल वापस लेने के लिए राज्य सरकार के समक्ष छह शर्तें रखी हैं.

जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त फोरम के प्रवक्ता अरिन्दम दत्ता ने कहा, ‘‘हम बैठक के लिए मुख्यमंत्री के आमंत्रण पर राज्य सचिवालय नहीं जाएंगे. उन्हें (मुख्यमंत्री) नील रत्न सरकार (एनआरएस) मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल आना होगा और एसएसकेएम अस्पताल में बृहस्पतिवार को अपने दौरे के दौरान की गई टिप्पणियों के लिए बिना शर्त माफी मांगनी होगी.’ दत्ता ने कहा, ‘‘यदि वह एसएसकेएम जा सकती हैं तो वह एनआरएस भी आ सकती हैं…अन्यथा आंदोलन जारी रहेगा.’ डाक्टरों के ‘‘हमें न्याय चाहिए’ के नारों के बीच सरकार संचालित अस्पताल एसएसकेएम के दौरे के दौरान बनर्जी ने कहा था कि मेडिकल कॉलेजों में बाहरी लोग व्यवधान पैदा कर रहे हैं और वर्तमान आंदोलन माकपा तथा भाजपा का षड्यंत्र है.

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों को राज्य सचिवालय में बैठक के लिये बुलाया जिसे डॉक्टरों ने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि यह उनकी एकता को तोड़ने की एक चाल है. ममता ने चार दिनों से सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में सामान्य सेवाओं को बाधित करने वाले गतिरोध का हल खोजने के लिए बैठक बुलाई थी. जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त मंच के एक प्रवक्ता ने कहा, "यह हमारी एकता और आंदोलन को तोड़ने की चाल है. हम राज्य सचिवालय में किसी बैठक में शिरकत नहीं करेंगे. मुख्यमंत्री को यहां (एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल) आना होगा और कल एसएसकेएम अस्पताल के दौरे के दौरान उन्होंने हमें जिस तरह से संबोधित किया, उसके लिए बिना शर्त माफी मांगनी होगी."

ममता ने बृहस्पतिवार को एसएसकेएम अस्पताल का दौरा करते वक्त कहा था कि बाहरी लोग मेडिकल कॉलेजों में गतिरोध पैदा करने के लिए यहां घुस आए हैं और यह आंदोलन माकपा तथा भाजपा का षडयंत्र है.जूनियर डॉक्टर एक रोगी के परिजन द्वारा चिकित्सक से मारपीट के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं.

झारखंड में भी चिकित्सकों का प्रदर्शन

झारखंड की राजधानी रांची के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान, धनबाद के पीएमसीएच और जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल के चिकित्सकों ने भी शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में डाक्टरों पर हुए हमले के विरोध में काले बिल्ले लगाकर प्रदर्शन किया और हमलावरों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की.झारखंड में भारतीय चिकित्सा परिषद् के संयोजक डॉ अजय कुमार ने कहा कि सभी चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों के चिकित्सकों ने काले बिल्ले लगाकर प्रदर्शन किये.उन्होंने कहा कि यह उनका प्रदर्शन झारखंड के कोडरमा में और बिहार में हाल में चिकित्सकों पर हुए हमलों के खिलाफ भी था.

आईएमए का विरोध प्रदर्शन, शाह को लिखा पत्र

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने पश्चिम बंगाल में आंदोलनरत डॉक्टरों के प्रति एकजुटता जताते हुये शुक्रवार से चार दिन के राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखकर अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के प्रति हिंसा को रोकने के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने का आग्रह किया.देश में डॉक्टरों के इस शीर्ष निकाय ने हिंसा के किसी भी प्रकार सहित चिकित्सा सेवा कर्मियों के खिलाफ हिंसा की निंदा करते हुये कहा कि शुक्रवार से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन शनिवार और रविवार को भी जारी रहेगा. इसमें डॉक्टर काले रंग के बिल्ले लगायेंगे और धरना देने के अलावा शांति मार्च निकालेंगे. आईएमए ने 17 जून सोमवार को गैर आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं को बंद करने वाली हड़ताल का भी आह्वान किया. शाह को लिखे एक पत्र में आईएमए ने कहा कि चिकित्सा संस्थानों और डॉक्टरों के प्रति हिंसा के खिलाफ एक केंद्रीय स्तर पर कानून बनाने का आग्रह किया.

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