पूर्व प्रधानमंत्री की जयंती के दौरान आयोजित कार्यक्रम में सुभाष ने कहा कि 1996 चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद, उन्हें (नरसिंहा राव) पार्टी से कई कारणों से दरकिनार कर दिया गया था जिनका उनकी सरकार की नीति से कोई लेना-देना नहीं था. कांग्रेस ने सोचा कि गांधी-नेहरू परिवार से इतर कोई आगे बढ़ जाएगा तो उनकी चमक फीकी पड़ जाएगी, इसलिए राव जी को ही किनारे लगा दिया. कहा कि कांग्रेस पार्टी की सारी कमियों को नरसिम्हा राव के मत्थे डाल दिया गया और उनके योगदान की कभी इज्जत-कद्र नहीं की गयी. मैं सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मांगी की मांग करता हूं. उन्हें यहां आकर नरसिम्हा राव को श्रद्धांजलि देनी चाहिए.
सुभाष ने कहा कि दुनियाभर के लोग कांग्रेस पार्टी और देश के लिए नरसिम्हा राव जी के योगदान को मानते हैं. जब राजीव गांधी की मौत हुई थी तो वह प्रधानमंत्री बने थे. आपको बता दें कि नरसिंहा राव के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय में प्रवेश की इजाजत नहीं दी गयी थी. इसे लेकर पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा समय-समय पर कांग्रेस को घेरते रहे हैं.
गौरतलब है कि हाल ही में कांग्रेस पार्टी के सचिव जी चिन्ना रेड्डी ने आरोप लगाया था कि दिवंगत नेता ने अपने कार्यकाल के दौरान नेहरू-गांधी परिवार को दरकिनार करने की कोशिश की थी. अविभाजित आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के मंत्री रहे रेड्डी ने राव के प्रधानमंत्री रहते हुए दिसंबर, 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर उन्हें जिम्मेदार ठहराने का भी प्रयास किया और कहा कि इसी कारण मुस्लिम समुदाय के लोग पार्टी से दूर हो गए.