बेंगलुरु : भारत का चांद पर दूसरा महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 अब 22 जुलाई को अपराह्न दो बजकर 43 मिनट पर रवाना होगा. अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने यह जानकारी दी. वैज्ञानिक जीएसएलवी-एमके-थ्री एम1 रॉकेट में हुई तकनीकी खराबी को ठीक कर रहे हैं. तीन दिन पहले इसमें तकनीकी गड़बड़ी आने के बाद चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण रोक दिया गया था.
इसरो ने ट्वीट कर बताया कि ‘बाहुबली’ कहा जाने वाला जीएसएलवी मार्क-।।। रॉकेट अब अरबों लोगों के सपने को ‘चंद्रयान-2′ के रूप में चंद्रमा पर ले जाने के लिए तैयार है. इसरो ने बाद में अपनी वेबसाइट पर बताया कि रॉकेट में खामी का विश्लेषण करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था और इस समिति के विश्लेषण के आधार पर रॉकेट को ठीक करने की दिशा में कदम उठाया गया जो कि अब ‘सामान्य’ काम कर रहा है.
इसरो ने बताया कि विशेषज्ञ समिति ने तकनीकी खामी की मुख्य वजह का पता लगा लिया और उसके बाद सही कदम उठाये गये हैं. अब इस 3,850 किलोग्राम वजनी ‘चंद्रयान-2′ का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 22 जुलाई 2019 को अपराह्न दो बजकर 43 मिनट पर होगा. यह अपने साथ एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर ले जायेगा और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा.
इसरो ने लोगों से मिल रहे समर्थन के लिए उनका शुक्रिया भी अदा किया. ‘चंद्रयान-2′ का प्रक्षेपण 15 जुलाई को तड़के दो बजकर 51 मिनट (14 जुलाई देर रात दो बजकर 51 मिनट) पर होना था. मिशन के प्रक्षेपण से 56 मिनट 24 सेकंड पहले मिशन नियंत्रण कक्ष से घोषणा के बाद रात 1.55 बजे इसे रोक दिया गया था. कई दिग्गज वैज्ञानिकों ने इस कदम के लिए इसरो की प्रशंसा भी की. उनका कहना था कि जल्दबाजी में कदम उठाने से बड़ा हादसा हो सकता था.
दूसरी बार जो प्रक्षेपण की तारीख तय की गयी है, उस दिन करीब 5,000 लोग इसे यहां की दर्शक दीर्घा में बैठकर देखेंगे. हालांकि इस प्रक्षेपण को देखने की इच्छा रखने वाले लोगों को दोबारा पंजीकरण कराना होगा. इसरो ने कहा है कि ‘चंद्रयान-2′ को चंद्रमा पर उतरने में 54 दिन लगेंगे.
इसरो के अनुसार ‘चंद्रयान-2′ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा, जहां वह इसके अनछुए पहलुओं को जानने का प्रयास करेगा. इससे 11 साल पहले इसरो ने पहले सफल चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-1′ का प्रक्षेपण किया था जिसने चंद्रमा के 3,400 से अधिक चक्कर लगाये और 29 अगस्त, 2009 तक 312 दिनों तक काम करता रहा.
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