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स्थानीय निकाय चुनावों में जागरूकता और मतदाता भागीदारी में सुधार के लिए काम करने वाले 14 व्यक्तियों और संगठनों को महाराष्ट्र चुनाव आयोग के पुरस्कार वितरण करने के लिए आयोजित एक समारोह के इतर उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऊपरी सदन के सभापति के रूप में पिछले दो साल में राज्यसभा में कुछ वर्गों के व्यवहार से मैं बहुत व्यथित हूं. संसद का कामकाज नियमों, सभापति के पूर्व के निर्णयों और सदस्यों के लिए निर्धारित आचार संहिता के अनुसार चलता है.
विपक्षी दलों के 17 नेताओं ने शुक्रवार को नायडू को पत्र लिखकर सरकार द्वारा विभिन्न विधेयकों को संसदीय समिति में नहीं भेजकर और उनकी विस्तृत समीक्षा के बिना पारित कराये जाने पर गंभीर चिंता जतायी थी. उन्होंने कहा कि इस सत्र के दौरान कुछ सदस्यों ने कुछ मौकों पर सरकारी कागजात को फाड़कर सभापति की ओर फेंकने को प्राथमिकता दी. इस तरह का आचरण हमारे संसदीय लोकतंत्र के कामकाज को अच्छे प्रकार से प्रकट नहीं करता है.
सपा सांसद आजम खान का नाम लिये बगैर उन्होंने सत्र के दौरान आसन पर बैठी भाजपा की महिला सांसद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए उनकी निंदा की. नायडू ने कहा कि उस सदन (लोकसभा) के सदस्यों ने सदस्य (खान) की टिप्पणी पर ठीक ही अपना आक्रोश प्रकट किया. महिलाओं का अनादर करना हमारी सभ्यता में नहीं है. इस तरह का व्यवहार हमारे संसदीय लोकतंत्र को कमजोर करता है. उन्होंने कहा कि हंगामा, व्यवधान और कानून में देरी बहस, चर्चा और निर्णय का स्थान नहीं ले सकते हैं, जो लोकतंत्र की पहचान है.
नायडू ने कहा कि विपक्ष और सरकार प्रतिद्वंद्वी है न कि शत्रु. उन्होंने कहा कि प्रतिद्वंद्विता कुछ स्थानों पर दुश्मनी का कारण बन रही है. दोनों (सरकार और विपक्ष) को संयुक्त रूप में कार्य करने की आवश्यकता है और लोगों की सेवा करने में प्रतिस्पर्धा करने की जरूरत है. उन्होंने विपक्ष के उस आरोप को खारिज किया कि मुद्दे उठाने के लिए उनके सदस्यों को पर्याप्त समय नहीं दिया जाता है. नायडू ने कहा कि उन्होंने हमेशा सुनिश्चित किया है कि उच्च सदन के कामकाज के सभी पहलुओं पर विपक्ष अपनी बात रखे.