चेन्नई : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने न्याय प्रणाली को लोगों के और करीब पहुंचाने के लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों में उच्चतम न्यायालय की पीठें स्थापित करने की हिमायत करते हुए रविवार को सुझाव दिया कि इस तरह की प्रथम पीठ चेन्नई में स्थापित की जाये.
नायडू ने यह भी इच्छा जताई है कि शीर्ष न्यायालय के कामकाज के लिए दो हिस्से हों-एक संवैधानिक विषयों का निपटारा करे, जबकि दूसरा अपीलों का निपटारा करे, ताकि 25 साल से लंबित पड़े दीवानी एवं फौजदारी मुकदमों का निस्तारण हो सके. नायडू ने उपराष्ट्रपति के रूप में अपने दो साल के (अब तक के) कार्यकाल पर आधारित अपनी पुस्तक ‘लिस्निंग, लर्निंग एंड लीडिंग’ के विमोचन के मौके पर कहा कि कॉलेजियम प्रणाली फूलप्रूफ नहीं है. उन्होंने उच्चतम न्यायालय द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को रद्द करने और कॉलेजियम प्रणाली को बरकरार रखे जाने का जिक्र करते हुए यह कहा.
नायडू ने कहा, कॉलेजियम प्रणाली में न्यायाधीशों ने प्रेस क्राफ्रेंस किया और अपने सहकर्मियों में खामियां गिनायीं. इसका क्या निदान है? इसलिए इस बारे में व्यावहारिक समस्याओं को अवश्य ही समझना चाहिए और एक व्यापक विचार के साथ आना चाहिए. उपराष्ट्रपति ने न्याय प्रणाली को लोगों के और करीब पहुंचाने के लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों में उच्चतम न्यायालय की पीठें स्थापित करने की हिमायत की. उन्होंने सुझाव दिया, प्रथम पीठ चेन्नई में स्थापित की जाये. एक ईमानदार संदेशवाहक के रूप में मीडिया की भूमिका पर उन्होंने कहा कि ‘फेक न्यूज’ और नफरत, विभाजन एवं असंतोष बढ़ाने को लक्षित पूर्वाग्रह वाले विश्लेषण और खबरों को पहचानने के लिए मीडिया साक्षरता की जरूरत है.
उन्होंने कहा, समाचार और विचार अलग-अलग चीजें हैं. मीडिया को खबरें दिखानी और छापनी चाहिए तथा फैसला लोगों पर छोड़ देना चाहिए. उनके पास अवश्य ही स्व आचार संहिता होनी चाहिए. प्रिंट मीडिया के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया है. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए भी इस तरह की संस्था अवश्य होनी चाहिए. कुछ शुरुआत की गयी है तथा इसे और मजबूत करना चाहिए. कार्यक्रम में मौजूद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि उन्हें नायडू से एक छोटी सी शिकायत है कि नायडू सत्तापक्ष के लोगों के साथ (राज्य सभा में) कुछ ज्यादा सख्ती से पेश आते हैं और हर मंत्री उनसे डरते हैं.
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