चुनाव आयुक्त ने बताया कि लोकसभा चुनााव की तरह इस चुनाव में भी ईवीएम और वीवीपैट की पर्ची का मिलान होगा. चुनावी खर्च का हिसाब उम्मीदवारों को एक महीने के अंदर देना होगा.चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनावी अभियान को पर्यावरण के लिए खतरनाक नहीं बनने दिया जायेगा, इसलिए हम राजनीतिक दलों से यह आग्रह करते हैं कि वे अपने कैंपेन को प्लास्टिक मुक्त बनाये और ऐसे साम्रगियों का उपयोग करें, जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक ना हों. उन्होंने बताया कि नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली और गोंदिया में सुरक्षा के खास इंतजाम किये गये हैं.
चुनाव की तिथियों की घोषणा के बाद देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वे फिर से चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बनेंगे. उन्होंने कहा कि शिवसेना के साथ हमारा गठबंधन जारी रहेगा. वहीं कांग्रेस ने भी दोनों प्रदेश में जीत के दावे किये हैं.
आचार संहिता लागू होगी
दोनों राज्यों में चुुनाव के तारीखों की घोषणा होते ही आज से आचार सहिंता लागू हो गयी. इसके बाद दोनों राज्यों में तबादलों और नियुक्तियों पर प्रतिबंध लग जायेगा. किसी भी अधिकारी के तबादले का अधिकार एकमात्र निर्वाचन आयोग को ही होगा. सत्तारुढ़ पार्टी सरकारी खर्च पर अपनी किसी भी उपलब्धि का प्रचार-प्रसार नहीं कर सकेगी. हालांकि सीएम और मंत्री अपनी तय-शुदा जिम्मेदारियों का निर्वहन करते रहेंगे.
हरियाणा में क्या हैं हालात
हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं. साल 2014 में लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद यहां विधानसभा के चुनाव हुए थे. चुनाव से एन पहले भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सहयोगी रही हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी से नाता तोड़कर सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें उसे 47 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. मतलब की बीजेपी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई.
इस समय मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया गया था. इस बार भी भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में लोकसभा की सभी सीटें जीती हैं. इस आधार पर उसका पलड़ा भारी है लेकिन पार्टी को वहां अपराध के मामले में लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है.
महाराष्ट्र में ये है समीकरण
महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं. पिछले चुनावों में विभिन्न मुद्दों पर मतभेद के बाद बीजेपी-शिवसेना का 25 साल पुराना नाता टूट गया था. उन चुनावों में बीजेपी को 122 सीटें मिली थीं जबकि शिवसेना को 63. बीजेपी ने देवेंद्र फड़णवीस के नेतृत्व में सरकार बनायी थी. कि कुछ महीनों पहले दोनों पार्टियां फिर साथ आ गई हैं.
सीट बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों में दरार साफ नजर आ रही है. शिवसेना 144 सीटों से कम पर मानने को तैयार नहीं है जबकि बीजेपी उसे 120 सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं. इसी बीच शिवसेना की ओर से वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि अगर हमें 144 सीटें नहीं मिली तो ये गठबंधन टूट जायेगा.
इन दोनों राज्यों में होने वाला चुनाव बीजेपी के लिए एक तरफ से परीक्षा की तरह है. तीन तलाक बिल दोनों सदनों से पास करवाने और फिर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद370 हटाने के बाद देखना दिलचस्प होगा कि जनता की इन पर क्या प्रतिक्रिया होती है.