देश में 1994 के बाद इस मानसून हुई सबसे अधिक वर्षा : मौसम विभाग

नयी दिल्ली : मौसम विभाग ने कहा कि देश में 1994 के बाद इस मानसून में सबसे अधिक वर्षा दर्ज की गई. मौसम विभाग ने इसे ‘सामान्य से अधिक’ बताया. वहीं राजधानी दिल्ली में इस मौसम में 38 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई, जो कि शहर में 2014 के बाद से सबसे कम है.... […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 30, 2019 10:32 PM
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नयी दिल्ली : मौसम विभाग ने कहा कि देश में 1994 के बाद इस मानसून में सबसे अधिक वर्षा दर्ज की गई. मौसम विभाग ने इसे ‘सामान्य से अधिक’ बताया. वहीं राजधानी दिल्ली में इस मौसम में 38 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई, जो कि शहर में 2014 के बाद से सबसे कम है.

मानसून सोमवार को आधिकारिक रूप से तो समाप्त हो गया लेकिन यह देश के कुछ हिस्सों के ऊपर अभी भी सक्रिय है. विभाग ने कहा कि यह मानसून की अब तक की दर्ज सबसे विलंबित वापसी हो सकती है. मौसम विभाग के 36 उपमंडलों में से दो – पश्चिम मध्य प्रदेश और सौराष्ट्र एवं कच्छ – में ‘काफी अधिक’ वर्षा दर्ज की गई.

मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि शहर में इस मानसून एक जून से 30 सितम्बर तक 404.1 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई जबकि 30 वर्ष का औसत 648.9 मिलीमीटर है. इस तरह से इस वर्ष 38 प्रतिशत कम वर्षा हुई. मानसून इस वर्ष सामान्य से एक सप्ताह की देरी से आया था. मानसून ने आठ जून को केरल के ऊपर से शुरुआत की थी, लेकिन जून में इसकी गति सुस्त हो गई थी और जून में 33 प्रतिशत कम वर्षा हुई थी.

यद्यपि मानसून ने जुलाई में गति पकड़ी और सामान्य से 33 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई. अगस्त में भी सामान्य से 15 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले दो वर्षों के दौरान अधिक वर्षा दर्ज की गई थी. दिल्ली में 2018 में 770.6 मिलीमीटर और 2017 में 672.3 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई.

इस वर्ष जून में दिल्ली में मात्र 11.2 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई, जबकि सामान्य 65.5 मिलीमीटर है. इस तरह से जून में 83 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई. जुलाई महीने में यहां 24 प्रतिशत कम वर्षा हुई क्योंकि मात्र 210.4 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई. अगस्त भी अपेक्षाकृत शुष्क रहा क्योंकि मात्र 119.6 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई जबकि औसत 247.7 मिलीमीटर है. इस तरह से यह 52 प्रतिशत कम रही. सितम्बर में दिल्ली में 74.1 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई जबकि सामान्य 125.1 मिलीमीटर थी. इस तरह से 41 प्रतिशत की कमी रही.

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