गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले में इससे पहले अपना फैसला सुना सकता है. बैठक में मोदी ने जोर देते हुए कहा कि फैसले को हार- जीत के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए. मोदी के इस बयान से पहले सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं और प्रवक्ताओं से राम मंदिर मुद्दे पर भावनात्मक या उकसाने वाले बयान देने से बचने के लिए कहा था. पार्टी ने शांति कायम रखने के लिये अपने सांसदों से अपने- अपने संसदीय क्षेत्रों में जाने को भी कहा था.
यदि आपको याद हो तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(आरएसएस) ने भी कुछ दिन पहले अपने स्वयंसेवकों से इसी तरह की अपील की थी. संघ के शीर्ष नेतृत्व ने ‘प्रचारकों’ की हालिया बैठक में कहा था कि अगर राम मंदिर का फैसला उनके पक्ष में आया, तो वे ना ही कोई जश्न मनाएं और ना ही जुलूस निकालें. उल्लेखनीय है कि संघ और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने मंगलवार को प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरूओं और बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी और उस दौरान इस बात पर ज़ोर दिया गया कि शीर्ष न्यायालय का फैसला चाहे जो भी हो न तो कोई "जूनूनी जश्न" होना चाहिए और न ही "हार का हंगामा हो."
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के आवास पर यहां यह बैठक हुई. प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ ने 16 अक्टूबर को 40 दिनों से चली आ रही सुनवाई पूरी करने के बाद अयोध्या भूमि विवाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. फैसला जल्द ही आन की उम्मीद है.