मुंबई : महाराष्ट्र में किसी भी पार्टी की ओर से सरकार बनाने का दावा पेश नहीं कर पाने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है. इसबीच कांग्रेस और एनसीपी ने रात 8 बजे के करीब साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और एक साथ केंद्र की मोदी सरकार और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यिारी पर हमला बोला.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की आलोचना की है और कहा, केंद्र की मौजूदा सरकार ने राज्यों के मामले में कई बार अपनी मनमानी की है. यह लोकतंत्र और संविधान के साथ मजाक है. पटेल ने राज्यपाल पर भी हमला किया और कहा, जब भाजपा, शिवसेना, एनसीपी को मौका दिया गया, तो फिर कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका क्यों नहीं दिया गया.
दूसरी ओर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, न्यूनतम साझा कार्यक्रम की जहां तक बात है, तो एनसीपी और कांग्रेस का आपसी गठबंधन होने की वजह से साझा कार्यक्रम पहले ही तैयार किया जा चुका है, लेकिन शिवसेना के साथ एनसीपी और कांग्रेस का न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय नहीं हुआ है. अभी हमने इस मुद्दे पर शिवसेना के साथ बातचीत भी शुरू नहीं की है.
शिवसेना के साथ जल्द की इस मुद्दे पर जल्द ही बातचीत की जाएगी. पवार ने कहा हम दोबारा चुनाव नहीं चाहते. पवार ने कहा, अभी कांग्रेस से बात हो रही है, फिर शिवसेन से बातचीत शुरू होगी. इसमें यह तय होगा कि सरकार बनाना है या नहीं. अगर सरकार बनाना है, तो उनकी नीति क्या होगी.
गौरतलब हो महाराष्ट्र में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद से सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच मंगलवार शाम राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया.दिन में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की रिपोर्ट पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की उद्घोषणा पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.
अधिकारियों ने कहा कि राज्य की विधानसभा निलंबित अवस्था में रहेगी. उनके अनुसार, राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राज्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि चुनाव परिणाम घोषित होने के 15 दिन बाद भी एक स्थायी सरकार संभव नहीं है.
राज्यपाल ने कहा कि सरकार गठन के लिए सभी प्रयास किए गए हैं, लेकिन उन्हें स्थायी सरकार बनने की कोई संभावना नहीं दिखती. अधिकारियों ने बताया कि राज्यपाल ने उल्लेख किया कि उन्हें लगता है कि राज्य का शासन संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है और अब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है तथा वह संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधान पर रिपोर्ट भेजने को विवश हैं.
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