केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को संशोधन की तैयारी में जुट गई है. इससे नागरिकता संबंधी कानूनों में बदलाव होगा. ऐसे में यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि नागरिकता संशोधन विधेयक में दरअसल है क्या. आखिर इसमें ऐसा क्या है जिससे विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं. साथ ही भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लोग भी इसके खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे हैं.
तो सबसे पहले आपको बता दें कि इस विधेयक के जरिए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाइयों के लिए बिना वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा. आसान शब्दों में कहा जाए तो भारत के तीन मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के नियम को आसान बनाना है.
बता दें कि भारत की नागरिकता के लिए 11 साल देश में निवास करना जरूरी है लेकिन इस संशोधन के बाद बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि को घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है. बिल में इस खास संशोधन को देश के अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के सरकार के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.