चेन्नई : एलीट क्लबों और अन्य संगठनों की औपनिवेशिक मानसिकता पर रोक के अपने संकल्प के तहत तमिलनाडु सरकार ने धोती को बैन करने को संज्ञेय अपराध बना दिया है. तमिलनाडु सार्वजनिक स्थल प्रवेश (पोशाक पाबंदी हटाने संबंधी) बिल, 2014 में धोती को बैन करनेवालों को एक साल की सजा का प्रावधान किया गया है.
धोती जैसे पारंपरिक परिधान पहनकर प्रवेश करने पर रोक लगाने वाले एलीट क्लबों और अन्य संगठनों की औपनिवेशिक मानसिकता पर रोक लगाने के अपने संकल्प के तहत तमिलनाडु सरकार ने राज्य विधानसभा में एक विधेयक पेश किया, जिसमें ऐसी दस्तूरों को संज्ञेय अपराध बनाया गया है.
मुख्यमंत्री जे जयललिता ने तमिलनाडु सार्वजनिक स्थल प्रवेश (पोशाक पाबंदी हटाने संबंधी) विधेयक, 2014 को विधानसभा में पेशकर मनोरंजन क्लबों, होटलों, स्टेडियमों और अन्य सार्वजनिक स्थानों द्वारा थोपे गए ड्रेस कोड को हटाने के लिए कानून बनाने के अपने वादे को पूरा किया. यह कदम धोती पहने एक न्यायाधीश को एक क्लब में प्रवेश नहीं दिए जाने को लेकर हाल में हुए विवाद के बाद उठाया गया है.
इस विधेयक के जरिए सरकार ने किसी मनोरंजन क्लब, एसोसिएशन, ट्रस्ट, कंपनी या सोसाइटी द्वारा बनाए गए ऐसे किसी भी नियमन या उप कानून को अमान्य घोषित करने की कोशिश की है जो किसी व्यक्ति के भारतीय संस्कृति को परिलक्षित करने वाली धोती या अन्य पारंपरिक परिधान पहनकर प्रवेश करने पर रोक लगाता है.
यह विधेयक मद्रास उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश को पिछले महीने शहर में एक टीएनसीए क्लब द्वारा प्रवेश की अनुमति नहीं दिए जाने के मद्देनजर पेश किया गया है. इसकी विभिन्न राजनैतिक दलों ने निंदा की थी और इसे औपनिवेशिक मानसिकता बताते हुए इस तरह की पाबंदियों को समाप्त करने की मांग की थी.
विधेयक में प्रावधान है कि कोई भी ड्रेस कोड पाबंदी किसी सार्वजनिक स्थल-मनोरंजन क्लब, होटल, थिएटर, मॉल, हॉल, ऑडिटोरियम, स्टेडियम और ऐसे अन्य स्थान जिन्हें सरकार ने अधिसूचित किया हो उसमें प्रवेश के लिए नहीं थोपी जा सकती है. इस विधेयक में कहा गया है कि इस कानून का उल्लंघन करने वालों का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा और एक साल का कारावास और 25 हजार रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाएगा.
विधेयक में कहा गया है, हमारी संस्कृति, रीति-रिवाज और विरासत की रक्षा के लिए सरकार ने तमिल संस्कृति को परिलक्षित करने वाली धोती या किसी पारंपरिक भारतीय परिधान को पहने व्यक्ति के सार्वजनिक स्थानों में प्रवेश पर पाबंदियों को हटाने का फैसला किया है. विधेयक में कहा गया है कि पाश्चात्य संस्कृति का पालन करने वाले परिधान नहीं पहनने के आधार पर सार्वजनिक स्थानों में प्रवेश पर रोक लगाना औपनिवेशिक साम्राज्यवादी रवैये को जारी रखना माना जाएगा.
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