जेएनयू के कुलपति ने छात्रों से शांति बनाये रखने की अपील की

नयी दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति एम जगदीश कुमार ने सोमवार को छात्रों से शांति बनाये रखने की अपील करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय की सर्वोच्च प्राथमिकता छात्रों के शैक्षणिक हितों की रक्षा करना है.... गौरतलब है कि जेएनयू में रविवार शाम नकाबपोशों द्वारा की गयी हिंसा के अगले दिन कुलपति ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 6, 2020 5:16 PM
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नयी दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति एम जगदीश कुमार ने सोमवार को छात्रों से शांति बनाये रखने की अपील करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय की सर्वोच्च प्राथमिकता छात्रों के शैक्षणिक हितों की रक्षा करना है.

गौरतलब है कि जेएनयू में रविवार शाम नकाबपोशों द्वारा की गयी हिंसा के अगले दिन कुलपति ने यह अपील की है. उन्होंने एक बयान में कहा, सभी छात्रों से शांति बनाये रखने की अपील करता हूं. विश्वविद्यालय अकादमिक गतिविधियों में हिस्सा लेने के इच्छुक सभी छात्रों के साथ है. हम सुनिश्चित करेंगे कि छात्रों का सर्दियों में होने वाला पंजीकरण बिना किसी रुकावट के पूरा हो. उन्हें इस प्रक्रिया के बारे में डरने की कोई जरूरत नहीं है. कुमार ने कहा, विश्वविद्यालय की सर्वोच्च प्राथमिकता छात्रों के शैक्षणिक हितों की रक्षा करना है.

जेएनयू के कुलपति की ओर से जारी बयान के अनुसार, मौजूदा हालात की जड़ में कारण यह है कि प्रदर्शन कर रहे कुछ छात्र हिंसा कर रहे हैं और बड़ी संख्या में प्रदर्शन में नहीं शामिल छात्रों की शैक्षणिक गतिविधियों को अवरुद्ध कर रहे हैं. उसमें कहा गया है कि प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने सर्दियों वाले सत्र का पंजीकरण रोकने के लिए विश्वविद्यालय का संचार सर्वर क्षतिग्रस्त कर दिया. उन्होंने कहा, उन्होंने हजारों छात्रों को सर्दियों के सत्र के लिए पंजीकरण कराने से रोका. उनकी मंशा साफ-साफ विश्वविद्यालय के कामकाज को नुकसान पहुंचाना है. यह सिर्फ गुंडागर्दी है और जेएनयू के सिद्धांतों के खिलाफ है. ऐसे किसी व्यक्ति को बख्शा नहीं जायेगा और समुचित कार्रवाई की जायेगी.

कुमार ने कहा कि जेएनयू प्रशासन अपने छात्रों की रक्षा और सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठायेगा. उन्होंने कहा, छात्रों के हितों की रक्षा करने के लिए हम सभी को साथ खड़े होने की जरूरत है. कुछ प्रदर्शनकारियों को विश्वविद्यालय को ब्लैकमेल नहीं करने देना चाहिए क्योंकि उनके मन में छात्रों के मौलिक अधिकारों के लिए कोई सम्मान नहीं है.

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