निर्भया मामला : पवन जल्लाद ने तिहाड़ में किया फांसी लगाने का अभ्यास, दोषी पवन की याचिका खारिज हुई

नयी दिल्ली : निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के चार दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए मेरठ कारावास से पवन जल्लाद तिहाड़ जेल परिसर पहुंच गए हैं. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पवन ने गुरुवार को तिहाड़ प्रशासन को यहां पहुंचने की विधिवत जानकारी दी.... तिहाड़ जेल के महानिदेशक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 31, 2020 5:17 PM
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नयी दिल्ली : निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के चार दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए मेरठ कारावास से पवन जल्लाद तिहाड़ जेल परिसर पहुंच गए हैं. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पवन ने गुरुवार को तिहाड़ प्रशासन को यहां पहुंचने की विधिवत जानकारी दी.

तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने बताया, ‘‘पवन ने फांसी देने का अभ्यास किया, जो बिना किसी परेशानी के संपन्न हुआ.’ अधिकारी के मुताबिक पवन जेल परिसर में ही रहेंगे और फांसी के फंदे की मजबूती सहित अन्य तैयारियों की जांच करेंगे.

उल्लेखनीय है कि निर्भया सामूहिक दुष्कर्म के दोषियों को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दी जानी है, लेकिन फांसी टल भी सकती है क्योंकि एक दोषी ने बुधवार को राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की जबकि एक अन्य दोषी ने सुप्रीम कोर्ट में सुधारात्मक याचिका दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने आज खारिज कर दिया.

पवन गुप्ता की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने चेंबर में की. सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी को पवन की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उसने नाबालिग होने के अपने दावे को खारिज करने के, दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी. फैसला आने से पहले मामले में पवन की ओर से पेश वकील ए पी सिंह ने कहा कि उन्होंने शीर्ष न्यायालय के 20 जनवरी के आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध करते हुए शुक्रवार को अपने मुवक्किल की ओर से एक याचिका दायर की.

याचिका खारिज करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि पवन की याचिका को खारिज करने वाले उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है और उच्च न्यायालय के साथ-साथ निचली अदालत ने उसके दावे को सही तरीके से खारिज किया. न्यायालय ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिका में पहले इस मामले को उठाया गया और शीर्ष न्यायालय ने पवन तथा अन्य सह-आरोपी विनय कुमार शर्मा के नाबालिग होने के दावे वाली याचिका को खारिज कर दिया. सिंह ने दलील दी थी कि पवन के स्कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र के अनुसार अपराध के समय वह नाबालिग था और निचली अदालत तथा उच्च न्यायालय समेत किसी भी अदालत ने उसके दस्तावेजों पर कभी विचार नहीं किया.

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