नयी दिल्ली : कांग्रेस ने मोदी सरकार पर सत्ता के करीबी पूंजीपतियों का करीब आठ लाख करोड़ रुपये का ऋण माफ करने का आरोप लगाते हुए शनिवार को मांग की कि जिन लोगों के कर्ज माफ किये गये हैं, उनके नाम सार्वजनिक किये जाएं और ऋण माफी की प्रक्रिया की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनायी जाए.
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि विभिन्न रिपोर्टों से यह बात स्पष्ट है कि बैंकिंग क्षेत्र में संकटग्रस्त ऋण लगातार बढ़ रहा है. उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह वित्त वर्ष 2017 में 12 फीसदी था, जबकि अब यह करीब 16 फीसदी है और बैंकों में करीब 16,88,000 करोड़ रुपये संकटग्रस्त ऋण है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में भारी सुस्ती का स्पष्ट संकेत है.
श्रीनेत ने कहा कि आपको यह बताना महत्वपूर्ण है कि 7.77 लाख करोड़ रुपए का ऋण माफ किया गया (करीब आठ लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया गया) है और यह बहुत मूलभूत प्रश्न है कि ये लोग कौन हैं. देश के नागरिक और करदाता होने के तौर पर क्या हमें यह जानने का हक नहीं है कि किन लोगों के कर्ज माफ किये गये हैं?
उन्होंने कहा कि हमारी तीन मांगें हैं. पहला यह कि जिन लोगों का ऋण माफ किया गया है, उनके नाम सार्वजनिक किये जाएं. दूसरा, ऋण माफी की प्रक्रिया की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की जाए. तीसरा, यह समिति बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय व्यवहार्यता और क्षमता का मूल्यांकन करे.
प्रवक्ता ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र के हालत पर जब कभी भाजपा सरकार से सवाल किया जाता है, वे पूर्ववर्ती सरकार को दोष देते हैं, लेकिन बार-बार झूठ बोलने से सच नहीं बदल जाता. श्रीनेत ने सवाल किया कि भाजपा सरकार ने पिछले छह साल में बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के लिए क्या किया.
उन्होंने कहा कि सरकार आपको बतायेगी कि एनपीए 11.7 फीसदी से कम होकर 9.2 फीसदी हो गया है, जो अच्छी खबर होनी चाहिए और अर्थव्यवस्था में सुधार दिखना चाहिए, लेकिन सच्चाई इससे अलग है और बैंक सत्ता के करीबी बड़े पूंजीपतियों के ऋण माफ कर रहे हैं.
इससे पहले, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने क्रेडिट सुइस रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने पांच वर्षों में ‘‘सत्ता के करीबी मित्रों” के सात लाख 77 हजार 800 करोड़ रुपये माफ कर दिये और सवाल किया कि वह किसानों को ऋण में राहत क्यों नहीं दे सकी.
सुरजेवाला ने ट्वीट किया था, ‘क्रेडिट सुइस रिपोर्ट में बैंक की ऋण माफी, एनपीए के बारे में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. 2014 से मोदी सरकार ने सात लाख 77 हजार 800 करोड़ रुपये की ऋण माफी दी है. सुरजेवाला ने पूछा कि मोदी सरकार इसका फायदा उठाने वाले लाभार्थियों के नामों का खुलासा क्यों नहीं कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘बैंकों का एनपीए नौ लाख 10 हजार 800 करोड़ रुपये है. बैंकों की संकटग्रस्त संपत्ति 16 लाख 88 हजार करोड़ रुपये है. निजी बैंकों की साख वृद्धि में 12 फीसदी की कमी आयी है, पीएसयू बैंक में चार फीसदी की कमी आयी है. सुरजेवाला ने पूछा, ‘मोदी सरकार सत्ता के करीबी मित्रों का पांच वर्षों में सात लाख 77 हजार 800 करोड़ रुपये का ऋण माफ कर सकती है, तो भारत के किसानों का ऋण माफ क्यों नहीं कर सकती है? बैंकों में लोगों के धन की सुरक्षा के लिए कौन जिम्मेदार है?’
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