नयी दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज अपने भाषण में ऐलान किया कि वह देश को संसद में बहुमत के आधार पर नहीं बल्कि सहमति के आधार पर चलाना चाहते है. उन्होंने जातिगत और सांप्रदायिक हिंसा पर 10 वर्ष के लिए रोक लगाने का आह्वान किया.
ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से पहली बार राष्ट्र को संबोधित करते हुए मोदी ने आतंकवाद और हिंसा के रास्ते पर चल निकले नौजवानों से अपने हथियार छोडकर शांति और विकास का रास्ता अपनाने का आह्वान किया. इसके अलावा मोदी ने माओवादियों और चरमपंथियों से भी हिंसा त्यागने की अपील की.
प्रधानमंत्री का पद संभालने के तीन माह से भी कम समय के भीतर मोदी ने अपनी सरकार का रोडमैप पेश किया, गरीबों के लिए जनधन योजना का ऐलान किया, जिसमें उनके लिए बीमा की सुविधा भी हो, सांसदों द्वारा आदर्श गांवों का विकास और एक समयसीमा के भीतर खुले में शौच को समाप्त करने की एक योजना का भी ऐलान किया.
उन्होंने कारपोरेट घरानों से कहा कि वह अपने सामाजिक दायित्व के तौर पर सरकार के साथ मिलकर काम करते हुए शौचालयों के निर्माण में सहयोग दें, जिसके अंतर्गत अगले स्वतंत्रता दिवस तक सभी स्कूलों में, लडकियों के लिए अलग से शौचालयों का निर्माण किया जाए.
किसी बुलेट प्रूफ ढाल के बिना मोदी ने हिंदी में दिए अपने लगभग सवा घंटे के धाराप्रवाह संबोधन में योजना आयोग के स्थान पर जल्द ही भीतरी और वैश्विक आर्थिक परिवर्तनों को जहन में रखते हुए एक नये संस्थान की स्थापना की घोषणा की.
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए कि वह प्रधानमंत्री के तौर पर नहीं बल्कि प्रधान सेवक के रुप में अपनी बात कह रहे हैं, राष्ट्र के निर्माण में पूर्व सरकारों, पूर्व प्रधानमंत्रियों और राज्य सरकारों के योगदान का विशेष उल्लेख किया.
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