।। सेंट्रल डेस्क ।।
नरेंद्र मोदी सरकार देश में लोगों को जल्द न्याय दिलाने के लिए 1800 फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करेगी. विधि मंत्रालय ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ली है. इसे 14वें वित्त आयोग के समक्ष पेश किया जायेगा, जो नये कोर्ट के गठन के लिए संसाधन उपलब्ध करायेगा. वर्ष 2000 में केंद्र ने 1,734 फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए संसाधन उपलब्ध कराये थे.
अप्रैल, 2011 के बाद से इसका आवंटन बंद कर दिया गया. हालांकि, आज भी कुछ राज्यों में फास्ट ट्रैक कोर्ट चल रहे हैं. मार्च, 2014 में कम से कम 976 ऐसे कोर्ट अस्तित्व में हैं. इसमें सबसे ज्यादा 179 बिहार में, उत्तर प्रदेश में 153, महाराष्ट्र में 92, पश्चिम बंगाल में 85 और मध्यप्रदेश में 84 फास्ट ट्रैक कोर्ट हैं. यहां बताना प्रासंगिक होगा कि फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है. केंद्र सरकार इसके लिए धन उपलब्ध कराती है.
दिसंबर, 2012 में नयी दिल्ली में चलती बस में एक पारा मेडिकल की छात्रा से हुए बर्बर गैंग रेप की घटना के बाद विधि मंत्रालय ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए मार्च, 2015 तक हर साल 80 करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया.
* ढाई साल में 212 त्वरित न्यायालय बने : दिसंबर, 2012 के बाद से अब तक महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होनेवाले अपराधों के त्वरित निबटान के लिए 16 राज्यों में 212 ऐसे कोर्ट का गठन हो चुका है. 1734 फास्ट ट्रैक कोर्ट बने थे वर्ष 2000 में भारत में
– 976 फास्ट ट्रैक कोर्ट मार्च, 2014 तक कार्यरत थे
पश्चिम बंगाल48
तमिलनाडु32
ओडि़शा30
आंध्रप्रदेश 24
पंजाब 20
झारखंड11
राजस्थान09
मध्यप्रदेश09
दिल्ली06
Agni Prime Missile : पहली बार रेल लॉन्चर से परीक्षण, मिसाइल भेद सकती है 2,000 किलोमीटर तक के टारगेट को
Watch Video: पानी में डूबे घर, टूटी सड़कें, उत्तरकाशी में बादल फटने से मची तबाही का नया वीडियो आया सामने
Uttarkashi Cloudburst: उत्तराखंड में कुदरत का कहर, अब तक 4 की मौत, सीएम धामी ने नुकसान का लिया जायजा
Heavy Rain Warning: अगले 3 से 4 घंटों के दौरान हिमाचल में भयंकर बारिश की संभावना, IMD अलर्ट जारी