नयी दिल्ली: देश को हिला कर रख देने वाले निठारी कांड में सुरेंद्र कोली को तो फांसी की सजा मिल गई है लेकिन उन मासूमों के परिवार को यह सजा भी कम लग रही है. कोली को एक नरपिशाच के नाम से भी लोग जानते हैं. लोगों को यकीन नहीं हो रहा था कि कोई इंसान ऐसा कृत्य भी कर सकता है.
कोई इंसान अपने घर को बूचड़खाना बना सकता है. क्या एक इंसान ही इंसान को खा सकता है. इसपर कोई यकीन नहीं का रहा था लेकिन सच सामने आने के बाद लोग सन्न रह गये थे. यह सबकुछ हुआ निठारी के घर डी फाइव में. यह घर सुरेंद्र सिंह कोली का था. इस इंसान के लिए नरपिशाच, राक्षस, ऐसे कई शब्द भी छोटे पड़ गये.
निठारी के इस घर डी फाइव में का नरपिशाच यानी सुरेंद्र सिंह कोली बच्चियों बहला फुसला कर घर में बुलाता था उनकी हत्या करता है और उनका मांस खाता है. यह बाद में अदालतों में भी ये साबित हो चुका है. 15 फरवरी 2011 को कोली के लिए फांसी की सजा को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने सुरेंद्र कोली के बारे में कहा कि सुरेंद्र कोली एक सीरियल किलर है. हमारे ख्याल से ये रेयररेस्ट ऑफ दर रेयर मामलों की श्रेणी में आता है. सुरेंद्र कोली की हत्याएं खौफनाक और बर्बर हैं.
सोचने वाली बात है कि कोली बच्चियों को कैसे लुभाता था. खुलासे के बाद बात सामने आई की वह घर के पास से गुजरने वाली छोटी बच्चियों को देखता था, उनकी कमजोरी का फायदा उठाता था. कोली नोएडा के निठारी गांव के घर डी फाइव में आने के लिए लालच देता था, जहां वो उनका गला घोट देता था.
उनकी हत्या करने के के बाद वो शव के साथ शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करता था, उसके बाद उनके शरीर के टुकड़े करता था और उन्हें खाता था. शरीर के कुछ हिस्सों को वो घर के पीछे गलियारे में और घर के किनारे नाले में डाल देते था. निठारी का डी5 असल में एक तरह से बूचड़खाना बन चुका था. यही वजह है कि उसे एक नहीं पांच-पांच मामलों में फांसी की सजा मिली है.
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