कोर्ट से बुखारी को राहत, कल होगा दस्तारबंदी का कार्यक्रम

नयी दिल्ली : दिल्ली के शाही इमाम बुखारी को कार्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने मामले पर फैसला सुनाते हुए दस्तारबंदी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने साफ किया है कि दस्तारबंदी एक निजी कार्यक्रम है इसे कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है. कोर्ट ने कहा कि बहुत दिनों से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 21, 2014 11:45 AM
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नयी दिल्ली : दिल्ली के शाही इमाम बुखारी को कार्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने मामले पर फैसला सुनाते हुए दस्तारबंदी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने साफ किया है कि दस्तारबंदी एक निजी कार्यक्रम है इसे कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है. कोर्ट ने कहा कि बहुत दिनों से परिवार इस पद पर रहा है इसलिए इसे अभी हटाना जरूरी नहीं है.

वहीं कोर्ट ने दिल्ली वाक्फ बोर्ड से जवाब मांगा है कि वह अबतक इस मामले को लेकर चुप्प क्यों थी. कोर्ट के इस फैसले के बाद कल बुखारी अपने पुत्र को विरासत सौपेंगे. मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी.

उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति जी रोहिणी और न्यायमूर्ति आर एस एंडलॉ की पीठ ने कहा कि समारोह कानूनी नहीं है और यह उनके (इमाम) पक्ष में कोई विशेष हिस्सेदारी प्रदान नहीं करता है. पीठ ने इस बारे में तीन जनहित याचिकाओं पर केंद्र, वक्फ बोर्ड और बुखारी को नोटिस जारी किया और उनका जवाब मांगा है जिनमें इमाम की ओर से अपने पुत्र को नायब इमाम नियुक्त करने को चुनौती दी गई है.

उच्च न्यायालय ने बोर्ड से यह भी पूछा कि उसने अभी तक बुखारी के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की. गौरतलब है कि इस संबंध में जनहित याचिकाएं सुहैल अहमद खान, अजय गौतम और वकील वी के आनंद ने दायर की थीं. इनमें कहा गया था कि जामा मस्जिद दिल्ली वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति है और इसके एक कर्मचारी के तौर पर बुखारी अपने पुत्र को नायब इमाम नामित नहीं कर सकते हैं.

कल इन तीन याचिकाओं पर जिरह के दौरान केंद्र और वक्फ बोर्ड ने अदालत के समक्ष कहा था कि जामा मस्जिद के शाही इमाम की ओर से अपने पुत्र को नायब इमाम और अपना उत्तराधिकारी बनाने को कोई कानूनी मान्यता नहीं है. अदालत की ओर से बोर्ड से इस बारे में कानूनी रुख स्पष्ट करने के बारे में कहे जाने पर वक्फ बोर्ड ने कहा कि वह जल्द ही बैठक करेगा और बुखारी ने जो किया है उसके लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.

इससे पहले केंद्र ने कहा था कि मुगल काल की यह मस्जिद वक्फ की सम्पत्ति है और उसे यह निर्णय करना है कि उत्तराधिकार का नियम नये शाही इमाम को नामित करने पर किस तरह लागू होता है जिसे कि चुनौती दी गई है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण :एएसआई: ने भी अदालत से आग्रह किया है कि नगर की इस जामा मस्जिद के राष्ट्रीय महत्व को देखते हुए उसे प्राचीन धरोहर घोषित किया जाए. एएसआई ने दलील दी कि इसके संरक्षण की जरुरत है.

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