नयी दिल्ली : विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने की चुनौती से जूझ रही सरकार ने आज कहा कि वह विभिन्न देशों के साथ हुई कुछ द्विपक्षीय कर संधियों पर फिर से गौर कर रही है जिनकी वजह से संभवत: काला धन वापस लाने में अडचन पैदा हो रही है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मुख्यालय में संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा ‘‘निश्चित रुप से हम कर रहे हैं.’’ उनसे सवाल किया गया था कि क्या सरकार उन द्विपक्षीय संधियों पर फिर से गौर करेगी जिनकी वजह से सरकार को विदेश में काला धन जमा करने वालों के बारे में आसानी से सूचना नहीं मिल पा रही है. जेटली ने कहा कि उन्होंने हाल ही में एक शिष्टमंडल स्विट्जरलैंड भेजा था और वह कुछ सकारात्मक पहल के साथ वापस लौटे हैं.
स्विट्जरलैंड सरकार के साथ वार्ता का हवाला देते हुए उन्होंने कहा ‘‘हमें एचएसबीसी सूची के अलावा स्वतंत्र रुप से साक्ष्य जुटाने हैं. मैं उनके (विभिन्न देशों के) पास नहीं जा सकता क्योंकि वे कहते हैं एचएसबीसी की सूची चुराई हुई है इसलिए मैं सहयोग नहीं करुंगा. इसलिए मैं चोरी की सूची के आधार पर आपके पास नहीं जा सकता. लेकिन यदि मैं चोरी की सूची में दर्ज कुछ नामों के बारे में आपको कुछ स्वतंत्र साक्ष्य पेश करता हूं तो क्या आप कुछ प्रमाण देंगे.’’यह पूछने पर कि क्या इसका प्रावधान मौजूदा द्विपक्षीय संधियों में नहीं है, मंत्री ने कहा ‘‘हमने इसी के बारे में चर्चा की है. धीरे-धीरे सहयोग बढ रहा है. यदि आप अमेरिकी कानून पर नजर डालें तो वे चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा देश ऐसे कानून को स्वीकार करें जिसमें सूचना के स्वत: आदान-प्रदान की व्यवस्था हो.’’
भारत द्वारा ऐसी संधि पर हस्ताक्षर करने की संभावना से जुडे सवाल पर मंत्री ने कहा ‘‘हम इसी पर काम कर रहे हैं. उच्चतम न्यायालय, पहले का फैसला, स्पष्टीकरण चाहते हैं. इसलिए विशेष जांच दल :एसआईटी: इस पर गौर कर रहा है.’’ विदेशों से काला धन वापस लाने से जुडी दिक्कतों के बारे में जेटली ने कहा कि एक तय प्रक्रिया होती है और सरकार को उस प्रक्रिया का अनुपालन करना होता है. उल्लेखनीय है कि भाजपा ने चुनाव के दौरान काला धन वापस लाने का वायदा किया था.
जेटली ने कहा ‘‘पूरी दुनिया आज ऐसे गैरकानूनी लेन-देन का पता लगाने के लिए एकजुट हो रही है. परंपरागत तौर पर वे अपराध से अर्जित धन के खिलाफ थे न कि कर चोरी वाले धन के.’’उन्होंने कहा ‘‘आज दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक पहुंचने वाले कर चोरी के धन पर भी सूचनाओं का आदान-प्रदान हो रहा है. फिर यदि आप यह साबित कर पायें कि यह कानून के विरद्ध है तो वे आपको इसके समर्थन में साक्ष्य देंगे.
आपको प्रक्रिया से गुजरना होगा। इससे बचने का दूसरा कोई रास्ता नहीं है.’’ मंत्री ने देश-विदेश में जमा काले धन को बाहर निकालने के लिये माफी योजना लाये जाने के बारे में पूछे सवाल को टाल दिया. उन्होंने बिना ब्योरा दिए कहा ‘‘इस मामले में हर संस्थान को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी.’’
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