नयी दिल्ली: देश भर में शौचालयों के निर्माण पर तीन अरब डॉलर से अधिक राशि खर्च किए जाने के बावजूद देश में खुले में शौच करने वालों की संख्या अभी भी विश्व में सबसे अधिक है. करीब 60 फीसदी ग्रामीण परिवार इस सुविधा से अब तक वंचित हैं.
पेयजल और स्वच्छता राज्य मंत्री रामकृपाल यादव ने आज राज्यसभा को बताया कि स्वच्छता कार्यक्रम में किए गए प्रयासों के फलस्वरुप ग्रामीण क्षेत्रों में कवरेज 1981 की जनगणना मे एक फीसदी से बढकर 2011 की जनगणना के अनुसार 32.70 फीसदी हो गया है. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय की वर्ष 2012 की रिपोर्ट के अनुसार, यह बढ कर 40.60 फीसदी हो गया है.
उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि करीब तीन अरब डॉलर के भारी-भरकम निवेश के बावजूद वर्षों से चल रहे भारत के स्वच्छता अभियानों से सीमित परिणाम ही प्राप्त हुए हैं.यादव ने बताया कि देश में खुले में शौच करने वालों की संख्या अभी भी विश्व में सबसे अधिक है.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय की वर्ष 2012 की रिपोर्ट के अनुसार, 59.4 फीसदी ग्रामीण परिवार अभी भी शौचालय की सुविधा से वंचित है.
यादव ने एस थंगावेलु, डॉ. टी. सुब्बीरामी रेड्डी, दर्शन सिंह यादव, अंबिका सोनी के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत शौचालयों के निर्माण, ठोस और तरल अपशिष्ट परियोजनाओं और संबंधित गतिविधियों के लिए 1,34,386 करोड रुपये की आवश्यकता होने का अनुमान है. इसमें केंद्र की हिस्सेदारी 1,00,447 करोड रुपये की होगी.
यादव ने एम. पी. अच्युतन और डी. राजा के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि विभिन्न राज्यों में पूर्व निर्मल भारत अभियान के अंतर्गत निर्मित कई निजी शौचालय कई कारणों से उपयोग करने योग्य नहीं रह गए हैं.
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