जम्मू- श्रीनगर : जम्मू कश्मीर में नयी सरकार के गठन को लेकर अनिश्चितता जारी रहने के बीच राज्यपाल एन एन वोहरा ने पीडीपी और भाजपा को इस बारे में बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया. चुनाव के बाद पीडीपी और भाजपा क्रमश: पहली और दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी हैं लेकिन दोनों में से किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया है.
राजभवन के एक अधिकारी ने बताया कि वोहरा ने पीडीपी संरक्षक मुफ्ती मोहम्मद सईद और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जुगल किशोर को सरकार गठन के प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए अलग-अलग पत्र भेजे हैं. राज्यपाल की ओर से भेजे गए पत्र में पीडीपी अध्यक्ष से कहा गया है कि वह उनसे एक जनवरी को सुबह मुलाकात करें जबकि प्रदेश भाजपा प्रमुख को उसी दिन दोपहर में बुलाया गया है.
सूत्रों ने कहा कि दोनों प्रमुख दलों को भेजे गए पत्रों में कहा गया है कि पिछली विधानसभा का कार्यकाल 18 जनवरी को समाप्त होना है और इसलिए दोनों को आगे आकर सरकार गठन पर चर्चा करनी चाहिए. राज्यपाल परोक्ष रुप से 2002 जैसी स्थिति से बचना चाहते हैं जब 22 दिनों तक सरकार नहीं बन पायी थी जिससे राज्य में राज्यपाल शासन लगाना पडा था. दोनों दलों को यह संदेश प्रेषित कर दिया गया है कि जब वे राज्यपाल से मुलाकात करें तब यदि दोनों जादुई आंकडा नहीं जुटा पा रहे हैं तो वह राज्यपाल को अपनी स्थिति से अवगत करा दें.
भाजपा को 87 सदस्यीय विधानसभा में 25 सीटें जबकि पीडीपी को 28 सीटें मिली हैं. दोनों पार्टियों ने पिछले दो दिनों के दौरान साथ आने की संभावना पर चर्चा की है. यद्यपि इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि दोनों दलों के बीच बातचीत किस हद तक आगे बढी है.
वहीं दोनों अन्य प्रमुख पार्टियां नेशनल कान्फ्रेंस (15 सीट) और कांग्रेस (12 सीट) भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए अपना प्रयास जारी रखे हुए हैं. दोनों ने पीडीपी को समर्थन की पेशकश की है जिसने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है.
नेशनल कान्फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष एवं निवर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहले ही घोषणा कर दी है कि उनकी पार्टी और भाजपा के बीच कोई ‘डील’ नहीं हुई है. उन्होंने आज रात ट्वीट करके कहा कि पीडीपी को समर्थन की केवल मौखिक पेशकश की गई है. लेकिन ऐसा लगता है कि पीडीपी ने भाजपा पर दबाव बनाने के लिए नेशनल कान्फ्रेंस के समर्थन को लेकर एक पत्र लीक कर दिया है जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है.
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भाजपा से कहा कि वह सरकार गठन पर अंधाधुंध तरीके से आगे बढने के लिए असंवेदनशीलता और दबाव बनाने की रणनीति नहीं अपनाये. उन्होंने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, भाजपा जिस तरह से क्षेत्रीय दलों का सफाया कर रही है वह राज्य के लोगों के जनादेश के प्रति असंवेदनशील होने जैसा है.
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