सूचना और प्रसारण मंत्रालय के लिए मिला जुला रहा 2014

नयी दिल्ली : सूचना और प्रसारण मंत्रालय के लिए साल 2014 मिला जुला रहा जहां एक ओर दूरदर्शन पर प्रसारण से जुडे कुछ विवाद सामने आए वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात और किसान चैनल जैसी पहल भी देखने को मिली.... लोकसभा चुनावों में राजग की जीत के बाद मंत्रालय का प्रभार कांग्रेस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 28, 2014 11:53 AM
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नयी दिल्ली : सूचना और प्रसारण मंत्रालय के लिए साल 2014 मिला जुला रहा जहां एक ओर दूरदर्शन पर प्रसारण से जुडे कुछ विवाद सामने आए वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात और किसान चैनल जैसी पहल भी देखने को मिली.

लोकसभा चुनावों में राजग की जीत के बाद मंत्रालय का प्रभार कांग्रेस नेता मनीष तिवारी के हाथ से भाजपा के प्रकाश जावडेकर के पास गया और फिर फेरबदल में वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ राज्य मंत्री राज्यवर्धन राठौड को यह जिम्मेदारी मिली.

लोकसभा चुनावों के दौरान साल में सबसे बड़ा विवाद दूरदर्शन द्वारा नरेंद्र मोदी के साक्षात्कार के संपादन पर पैदा हुआ जब वह केंद्र में सत्ता हासिल करने के लिए भाजपा के अभियान की अगुवाई कर रहे थे.

साक्षात्कार का कुछ हिस्सा नहीं दिखाया गया. भाजपा ने आक्रामक रुख अख्तियार करते हुए कहा कि यह कांग्रेस के दबाव में हुआ जबकि दूरदर्शन ने दावा किया कि साक्षात्कार का संपादन जानबूझकर नहीं किया गया या किसी हिस्से को जानबूझकर नहीं हटाया गया.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के विजयदशमी संबोधन का दूरदर्शन पर कवरेज भी विवादों में घिर गया.दूरदर्शन त्रुटियों की वजह से कई मौके पर खबरों में बना रहा. एक प्रस्तोता ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नाम का गलत उच्चारण किया. तो एक बार मोदी की तस्वीर की बजाए मनमोहन सिंह के विजुअल चलाए गए.

आकाशवाणी (एआईआर) के लिए अहम पल तब आया जब प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में अपना नजरिया सुनाने का फैसला किया. उनके संबोधन की सामग्री सिर्फ दूरदर्शन ही नहीं बल्कि निजी रेडियो और टीवी चैनलों पर भी चलाई गई.

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