तिरुअनंतपुरम: लीला सैमसन के सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के निर्णय से उपजी राजनीतिक हलचल के बीच आज वित्त मंत्री के अलावा सूचना एवं प्रसारण मंत्री का प्रभार वाले अरुण जेटली ने कहा कि राजग सरकार फिल्मों को सेंसर प्रमाण पत्र देने के सभी मामले से अपने को दूर ही रखती है.
उन्होंने पूर्व के संप्रग सरकार पर इसका ठिकरा फोड़ते हुए कहा कि संप्रग सरकार ने सेंसर बोर्ड का राजनीतिकरण कर दिया था. उन्होंने संप्रग सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह खेदजनक है कि बोर्ड में संप्रग के समय नियुक्त सदस्यों ने सामान्य मुद्दों पर भी राजनीति करनी शुरु कर दी है.
लीला सैमसन ने कल कहा था कि उन्होंने सेंसर बोर्ड के ‘‘अधिकारियों और पैनल सदस्यों के भ्रष्टाचार और दबाव तथा हस्तक्षेप के हालिया मामलों’’ के कारण पद छोडा है. डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की फिल्म ‘मैसेंजर ऑफ गॉड’ को फिल्म न्यायाधिकरण द्वारा मंजूरी दिए जाने से पैदा हुए विवाद के बीच लीला ने अपने पद से इस्तीफा दिया था.
बहरहाल, जेटली ने पलटवार किया, ‘‘हममें से (वह और राज्य मंत्री राठौड) किसी ने भी सेंसर बोर्ड के किसी सदस्य से संपर्क नहीं किया या चाहा कि कोई नौकरशाह ऐसा करे. मैं न तो सेंसर बोर्ड के किसी सदस्य से मिला हूं और न ही उनसे बात की है और न ही किसी को ऐसा करने के लिए अधिकृत किया है. यूपीए ने केंद्रीय सेंसर बोर्ड की जो नियुक्ति की थी, उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है.’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘यदि कोई भ्रष्टाचार हुआ है तो यूपीए द्वारा नियुक्त किए गए लोग खुद ही इसके जिम्मेदार होंगे. बेहतर होता यदि सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष ने कम से कम एक बार मुङो भ्रष्टाचार के बारे में बताया होता. गैर कामकाजी अध्यक्ष ने ऐसा कभी नहीं किया. सेंसर बोर्ड की बैठकें न बुलाए जाने का आरोप तो उनके लिए आत्मनिंदा करने जैसा है.’’