भाजपा-कांग्रेस पर चला केजरीवाल का झाडू

नयी दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में इतिहास रचते हुए आम आदमी पार्टी जबर्दस्त जीत के साथ राष्ट्रीय राजधानी में एक बार फिर से गद्दीनशीं होने का रास्ता साफ कर लिया है. 70 सदस्यीय विधानसभा में सभी सीटों के चुनाव परिणाम आ गये हैं. आप ने 67 सीटों पर विजय के साथ इतिहास रच दिया है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2015 2:45 PM
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नयी दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में इतिहास रचते हुए आम आदमी पार्टी जबर्दस्त जीत के साथ राष्ट्रीय राजधानी में एक बार फिर से गद्दीनशीं होने का रास्ता साफ कर लिया है. 70 सदस्यीय विधानसभा में सभी सीटों के चुनाव परिणाम आ गये हैं. आप ने 67 सीटों पर विजय के साथ इतिहास रच दिया है. भाजपा पांच का आंकडा भी नहीं छू पायी और यह तीन सीट पर सिमट गयी. कांग्रेस का तो सूपडा ही साफ हो गया है.

दिल्ली में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद आम आदमी पार्टी आगे की रणनीति में जुट गयी है. आज शाम केजरीवाल की विधायकों के साथ बैठक होगी. 14 फरवरी को रामलीला मैदान में केजरीवाल शपथ ग्रहण करेंगे.

यह पूछे जाने पर कि क्या यह मोदी के कामकाज पर जनमत संग्रह था, उन्होंने कहा, ‘‘ मैं इस रुप में नहीं देखता.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह चुनाव अरविंद केजरीवाल पर जनमत संग्रह था. दिल्ली के लोगों ने इसे इस रुप में देखा. मैं समझता हूं कि लोगों ने निश्चित तौर पर केजरीवाल को वोट दिया. यह 49 दिनों के आप के कामकाज पर जनमत संग्रह था. लोगों ने महसूस किया कि उन्हें एक मौका दिया जाना चाहिए.’’ दिल्ली चुनाव नतीजों पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि दिल्ली का चुनाव परिणाम देश की राजनीतिक स्थिति में निर्णायक मोड होगा.

वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों में एक नई पार्टी के तौर पर उभरी आप ने कांग्रेस को तीसरे स्थान पर धकेलकर एक हैरतअंगेज कारनामा अंजाम दिया था. भाजपा सबसे बडी पार्टी के रुप में उभरी थी. केजरीवाल ने दिल्ली के सातवें मुख्यमंत्री के रुप में 28 दिसंबर को ऐतिहासिक रामलीला मैदान में सार्वजनिक रुप से शपथ ली थी. यह वही रामलीला मैदान है, जो लोकपाल आंदोलन का आयोजन स्थल बना था.

केजरीवाल ने 2013 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली की तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को उनके ही गढ में 25,864 वोटों के भारी अंतर से हराया था.केजरीवाल ने भ्रष्टाचार-विरोधी जनलोकपाल विधेयक को भाजपा एवं कांग्रेस द्वारा बाधित किए जाने पर, 49 दिन सत्ता में रहने के बाद, पिछले साल 14 फरवरी को ही इस्तीफा दे दिया था.

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