रक्षा सूत्रों ने बताया कि भारत के एसएफसी में वर्ष 2003 में शामिल की गयी पृथ्वी-2 ऐसी पहली मिसाइल है, जिसका विकास डीआरडीओ ने भारत के प्रतिष्ठित आईजीएमडीपी (एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम) के तहत किया है और इस समय यह एक प्रमाणित तकनीक है. सूत्रों ने बताया कि मिसाइल के पथ पर डीआरडीओ के रडारों, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग प्रणालियों तथा ओडिशा के तटीय हिस्सों में स्थित टेलीमेटरी स्टेशनों से नजर रखी गयी.
संबंधित खबर
और खबरें