मुंबई : जनता परिवार के विलय पर शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखा गया है कि जनता परिवार के बीच विवाद हमेशा सरेआम होते रहे हैं, ऐसे में इसके घटक ही कब उसे तोड़ मरोड़ कर खा जायेंगे, इसका कोई भरोसा नहीं है.
सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि देश की राजनीति में इससे पहले भी कई बार फंसा हुआ जनता प्रयोग फिर एकबार लोगों को देखने को मिलने वाला है. छह क्षेत्रीय दलों ने जनता परिवार के छत्र तले एकजुट होकर नये दल के गठन का निर्णय किया है. पिछली बार जिन लोगों ने फंसा हुआ प्रयोग किया था, वही सारे नकली धर्मनिरपेक्षवादी इस नयी राजनीतिक घोषणा में शामिल थे.
सामना में लिखा गया है, जनता परिवार का बिगुल भले ही जोर शोर से बजाया जा रहा हो लेकिन ये वादक ही कब उसे तोड़ मरोड़ कर खा जायेंगे, इसका कोई भरोसा नहीं है. पार्टी ने कहा, इनका मन भले ही ऊपर से मिल गया हो लेकिन समय- समय पर इनके बीच वाद विवाद सरेआम होते रहे हैं. लालू और मुलायम अब संबंधी बन गये हैं.
जनता परिवार की कमान भले ही ये दो लोग मुख्य रूप से संभाल रहे हैं लेकिन यहां पर सवाल उठता है कि क्या नयी पार्टी के एक म्यान में दो तलवारें क्या रह सकेंगी ? रही भी तो वह कितने दिन रहेंगी. संपादकीय में कहा गया है, लालू-नीतीश-शरद यादव का एक त्रिकुट इस नये परिवार में शामिल है. लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव जब प्रत्यक्ष रूप से घोषित होगा तब आज गले से गले मिला, उस समय कितना रहेगा, यह बहुत बड़ा सवाल है.
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