नयी दिल्ली : इस साल की शुरुआत से भारत में कोरोना वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) की शुरुआत की गयी है. अब तक 20 करोड़ से अधिक वैक्सीन के डोज का इस्तेमाल किया गया है. एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Covaxin) के 2.1 करोड़ डोज का इस्तेमाल 27 मई की सुबह तक किया जा चुका है. जबकि उत्पादन के हिसाब से भारत में अब तक 6 करोड़ से ज्यादा डोज होने चाहिए थे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक देशी कंपनी भारत बायोटेक की ओर से अब तक करीब 8 करोड़ वैक्सीन बनाये गये होंगे. जबकि केवल 2.1 करोड़ डोज का इस्तेमाल किया गया है. अगर 2 करोड़ डोज विदेश भी भेजे गये होंगे तो बाकी के 4 करोड़ डोज कहां गये. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस्तेमाल और उत्पादन के आंकड़े मेल नहीं खा रहे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बायोटेक ने 20 अप्रैल को अपने एक बयान में कहा था कि मार्च में कोवैक्सीन के 1.5 करोड़ खुराक का उत्पादन किया गया था और अप्रैल में 2 करोड़ खुराक का उत्पादन किया गया था. जो मई से बढ़ने की संभावना व्यक्त की गयी थी. वहीं भारत बायोटेक के सीएमडी कृष्णा एला ने भी कहा था कि मई में उत्पादन 3 करोड़ होगा.
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केंद्र ने वैक्सीन को लेकर हाई कोर्ट में दो अलग-अलग हलफनामे दाखिल किये थे. इनमें से एक में 24 मई को कहा गया था कि भारत बायोटेक एक महीने में कोवैक्सीन के 2 करोड़ डोज तैयार कर रहा है. 5 जनवरी को टीकाकरण अभियान की शुरुआत होने से पहले ही एला ने कहा था कि कंपनी ने वैक्सीन के 2 करोड़ डोजका स्टॉक कर लिया है. अगर जनवरी, फरवरी और मार्च में उत्पादन कम भी हुआ होगा तो अब तक 8 करोड़ डोज का उत्पादन होना चाहिए.
अब बात करते हैं वैक्सीन के विदेश भेजने की. भारत ने डिप्लोमेसी की वजह से वैक्सीन के कुछ डोज विदेशों को दिया था. सरकार के अनुसार अब तक करीब 6.6 करोड़ वैक्सीन के डोज विदेश भेजे गये. इनमें से अधिकतर कोविशील्ड के डोज थे. ऐसे में सरकार ने अगर 2 करोड़ कोवैक्सीन के डोज विदेश भेजे हैं तो भी 4 करोड़ और डोज देश के पास बचे होने चाहिए.
सीधा हिसाब यह लगाया गया है कि 2 करोड़ डोज देश में लगाये गये, 2 करोड़ डोज विदेश भेजे गये. कंपनी की क्षमता के हिसाब से अब तक 8 करोड़ डोज का उत्पादन किया गया होगा. ऐसे में 4 करोड़ वैक्सीन के डोज कहां गये? बता दें कि भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैक्सीन कोविशील्ड और भारत बायोटेके का कोवैक्सीन शुरुआत से ही वैक्सीनेशन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
Posted By: Amlesh Nandan.
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