ढाका/नयी दिल्ली :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दो दिवसीय बांग्लादेश यात्रा संपन्न करके आज स्वदेश लौट आए और इस यात्रा के दौरान ऐतिहासिक भू सीमा समझौते की पुष्टि के अतिरिक्त आपसी सहयोग को मजबूती प्रदान करने के लिए दोनों देशों ने 22 समझौतों पर हस्ताक्षर किए. प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के लिए रवाना होने से कुछ ही देर पहले ट्वीट किया, ‘‘ धन्यवाद बांग्लादेश. यह यात्रा हमेशा मेरी यादों में रहेगी. इस यात्रा के नतीजे मजबूत साझेदारी की ओर जाएंगे.’’
Thank you Bangladesh. The visit will remain forever etched in my memory. Outcomes of the visit will lead to a stronger partnership.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 7, 2015
Most importantly, we successfully overcame long pending issues of the past & this will enable us to create a better future for our ties.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 7, 2015
भू सीमा समझौते का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘ सबसे महत्वपूर्ण है कि हमने सफलतापूर्वक अतीत के लंबित मुद्दों पर विजय पायी और इससे हम हमारे संबंधों के लिए एक बेहतर भविष्य सृजित करने में सक्षम होंगे.’’
आतंकवाद को शह देकर पाक कर रहा परेशान
पाकिस्तान पर खुला हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को उस पर परेशानी पैदा करने और आतंकवाद को शह देकर लगातार भारत के लिए दिक्कतें खड़ी करने का आरोप लगाया. प्रधानमंत्री ने ढाका यूनिवर्सिटी में बंगबंधु इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में अपने संबोधन के दौरान पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की और कहा कि आये दिन वह, भारत को परेशान करता है. साथ ही क्षेत्र में बांग्लादेश के साथ मिलकर आतंकवाद का मुकाबला करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की. अपने संबोधन में विस्तारवाद के खिलाफ कड़ा हमला बोलते हुए कहा कि विश्व बदल चुका है. इस युग में विश्व विकास चाहता है, विस्तारवाद नहीं. यही मूल दृष्टि है. 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का उल्लेख करते हुए कहा कि मोदी ने कहा कि तब हमारे कब्जे में 90 हजार पाकिस्तानी फौजी थे. यदि हमारी विकृत मानसिकता होती, तो हमें नहीं पता कि हमने क्या निर्णय किया होता. उन्होंने आतंकवाद की कोई सीमा नहीं होती.भारत इससे पिछले 40 वर्षो से परेशान रहा है. कितने बेगुनाह लोग मारे गये और आतंकवाद से जुड़े लोगों को क्या मिला. उन्होंने विश्व को क्या दिया. आतंकवाद का कोई मूल्य नहीं होता, कोई सिद्धांत, कोई परंपराएं नहीं होती. उसका एक ही उद्देश्य होता है और वह है मानवता के खिलाफ शत्रुता.
संरा व सुप में बदलाव पर जोर
संयुक्त राष्ट्र और इसकी सुरक्षा परिषद में सुधारों की तगड़ी वकालत करते हुए मोदी ने कहा कि भारत को अभी भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता नहीं मिली है. भारत एक ऐसा देश है जिसने कभी किसी की जमीन पर कब्जे की लड़ाई नहीं लड़ी. प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के साथ ही दुनिया भर में शांति रक्षक अभियानों में भारतीय जवानों की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय सैनिकों ने बांग्लादेश के लिए मुक्ति योद्धाओं के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी. फिर भी भारत को आज तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता नहीं मिली है. पाकिस्तानी युद्धबंदियों की वापसी अपने आप में दुनिया के समक्ष एक अनोखा उदाहरण है.
पास-पास ही नहीं, साथ-साथ भी
41 साल पुराने भू सीमा विवाद के समाधान पर मोदी ने कहा कि यदि लोगों को यह लगता है कि एलबीए जमीन के कुछ किलोमीटर के बारे में है, तो यह सच नहीं है. जिस दुनिया में सभी लड़ाइयां जमीन के लिए लड़ी गयीं वहां यह समझौता दिलों का मिलन है. काफी समय से लंबित तीस्ता जल बंटवारा करार के संबंध में कहा कि इस मुद्दे को मानवीय दृष्टिकोण के साथ सुलझाना होगा. समाधान की तलाश सुनिश्चित करना दोनों पक्षों की जिम्मेदारी है. मोदी ने कहा कि लोग यह सोचते थे कि हम केवल पास पास थे, अब दुनिया को यह मानना होगा कि हम केवल पास -पास नहीं हैं, बल्कि साथ -साथ भी हैं.
रामकृष्ण मिशन में पूजा-अर्चना
प्रधानमंत्री मोदी रविवार को ढाका स्थित रामकृष्ण मिशन गये, जो कोलकाता स्थित बेलूर मठ की शाखा है. मिशन मुख्यालय (कोलकाता) के प्रमुख स्वामी सुहितानंद और ढाका मिशन के प्राचार्य स्वामी ध्रुवेशानंद ने मिशन में मोदी का स्वागत किय. मोदी ने ट्विट किया कि ढाका स्थित रामकृष्ण मिशन पर रामकृष्ण परमहंस के प्रति सम्मान प्रकट कर रहा हूं. इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने 12 वीं शताब्दी के प्रसिद्ध ढाकेश्वरी राष्ट्रीय मंदिर में पूजा-अर्चना की, जो इस देश में हिंदू समुदाय के लिए पवित्र स्थल है. यह इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ माना जाता है.
नयी योजनाओं की दी सौगात
मोदी ने ढाका के बरीधारा इलाके में स्थित भारतीय उच्चायोग के न्यू चांसरी कम्प्लेक्स भी गये, जहां उन्होंने बांग्लादेश के लिए कई सहयोग अनुदान योजनाओं की शुभारंभ किया. उन्होंने जिन परियोजनाओं का शुभारंभ किया उसमें विक्टोरिया कॉलेज में भारत-बांग्लादेश मैत्री बालिका हास्टल और राजधानी के मीरपुर क्षेत्र में ब्लाइंड एजुकेशन रिहैबिलिटेशन डेवेलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन की तीसरी मंजिल का निर्माण शामिल है. साथ ही कुमुदिनी अस्पताल में जलमल निकासी प्रणाली, जलमल संवर्धन संयंत्र व गंदे जल के संवर्धन का संयंत्र स्थापित करने के अलावा ढाका विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग और रिकार्डिग स्टुडियो स्थापित करने व नृत्य विभाग को मदद प्रदान करने समेत अन्य परियोजनाएं भी शामिल हैं.
खलिदा जिया व लेफ्ट से मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हामिद से मुलाकात कर द्विपक्षीय मसलों पर चर्चा की. राष्ट्रपति हामिद ने प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में दोपहर भोज का आयोजन किया. वहीं, मोदी ने बांग्लादेश के कई अन्य नेताओं से भी मुलाकात की. इनमें राजनीतिक और कारोबारी जगत की प्रमुख हस्तियां शामिल थीं. बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया और लेफ्ट पार्टी के नेताओं से भी मुलाकात की.
घोषणा पत्र : नयी पीढ़ी, नयी दिशा
दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करते हुए कहा कि उन्होंने ऐतिहासिक भूमि सीमा समझौते को तेजी से लागू करने का फैसला किया है. दोनों देश असैन्य परमाणु ऊर्जा, पेट्रोलियम व ऊर्जा जैसे अन्य क्षेत्रों में भी परस्पर सहयोग करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी की बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाकात के बाद जारी संयुक्त घोषणापत्र में इस बात पर सहमति जतायी गयी है कि ऊर्जा क्षेत्र विशेषकर अक्षय ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग और बढ़ाया जायेगा. इस घोषणापत्र को ‘नोतून प्रोजोन्मो – नयी दिशा’ ( नयी पीढ़ी, नयी दिशा) नाम दिया गया है. घोषणापत्र में कहा गया कि मोदी व हसीना ने दोनों पक्षों के संबद्ध अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि वे 1974 के भूमि सीमा समझौते तथा 2011 की संधि को जमीनी स्तर पर तेजी से लागू करने की दिशा में कार्य करें. दोनों देशों ने वार्षिक भारत-बांग्लादेश ऊर्जा वार्ता करने का फैसला किया है. वहीं, द्विपक्षीय व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए बांग्लादेश ने भारतीय कंपनियों के समक्ष अपने यहां दो विशेष आर्थिक क्षेत्रस्थापित करने का प्रस्ताव रखा है. इसके अलावा उसने भारतीय जीवन बीमा निगम को भी यहां परिचालन की अनुमति दी है. बांग्लादेश में भारत आर्थिक क्षेत्र विकसित करने में रुचि दिखाने वाला जापान व चीन के बाद तीसरा देश है.
बांग्लादेश ने वाजपेयी को मुक्ति संग्राम सम्मान से नवाजा, मोदी ने ग्रहण किया
प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्रीअटल बिहारी वाजपेयी की ओर से बांग्लादेश के स्वतंत्रता संघर्ष में ‘सक्रिय भूमिका’ निभाने में उनके योगदान के लिए प्रदान किये गये प्रतिष्ठित मुक्ति संग्राम सम्मान स्वीकार किया. बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हामिद ने यहां राष्ट्रपति आवास ‘बंग भवन’ में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री को ‘बांग्लादेश मुक्ति संग्राम’ सम्मान सौंपा. इस मौके पर मोदी ने छह दिसंबर 1971 को संसद में वाजपेयी के भाषण को याद किया ‘‘जिसमें कहा गया था कि भारत व बांग्लादेश के रिश्ते अटूट हैं, जो किसी दबाव में नहीं टूटेंगे और किसी कूटनीति का शिकार नहीं बनेंगे.’’ उन्होंने कहा कि यह दिन हम सभी भारतीयों के लिए गर्व का है कि वाजपेयी जैसे एक महान नेता को सम्मानित किया जा रहा है. कितना अच्छा होता कि आज यह सम्मान वह स्वयं ग्रहण करते. उन्होंने कहा कि वाजपेयी उनके व उन जैसे अन्य राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए ‘प्रेरणा’ हैं. इस अवसर पर बांग्लादेश के राष्ट्रपति हामिद ने कहा कि विपक्ष में होने के बावजूद वाजपेयी ने राजनीतिक परिपक्वता का परिचय देते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को बांग्लादेश के मुद्दे पर पूरा समर्थन दिया था. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मुक्ति संग्राम में वाजपेयी की गतिविधियों के महत्वपूर्ण योगदान को याद किया.
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