वसुंधरा की कुर्सी सुरक्षित, जेटली की शाह और मोदी से मुलाकात के बाद मिली क्लीन चिट !

नयी दिल्लीः ललित मोदी मामले में घिरी राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की कुर्सी को फिलहाल कोई खतरा नहीं है. माना जा रहा है कि आज पार्टी हाई कमान अमित शाह और प्रधानमंत्री से अरुण जेटली की हुई मुलाकात के बाद उन्हें क्लीन चीट दे दी गयी है.... हालांकि औपचारिक तौर पर अभी इसकी घोषणा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 26, 2015 5:43 PM
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नयी दिल्लीः ललित मोदी मामले में घिरी राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की कुर्सी को फिलहाल कोई खतरा नहीं है. माना जा रहा है कि आज पार्टी हाई कमान अमित शाह और प्रधानमंत्री से अरुण जेटली की हुई मुलाकात के बाद उन्हें क्लीन चीट दे दी गयी है.

हालांकि औपचारिक तौर पर अभी इसकी घोषणा नहीं की गयी है. लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस के वसुंधरा का इस्तीफा लगातार मांगे जाने के बीच आज अंतिम निर्णय लेने के लिए मोदी-शाह-जेटली की मुलाकात हुई. और फिलहाल पार्टी और सरकार हित में फैसला लेते हुए वसुंधरा के इस्तीफे की मांग को खारिज कर दिया गया.

हालांकि इसके पहले भी गृह मंत्री राजनाथ सिंह, नीतिन गडकरी, वेंकैया नायडू जैसे नेता साफ कर चुके हैं कि ललित मोदी मामले में किसी से इस्तीफा नहीं लिया जाएगा.वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को अमेरिका से दिल्ली आने के कुछ ही घंटे बाद मीडिया से कहा कि मंत्रिमंडल में कोई व्यक्ति दागी नहीं है. वहीं, वेंकैया नायडू ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार सर्वाधिक ईमानदार और पारदर्शी तरीके से काम कर रही है. उन्होंने आईपीएल के पूर्व प्रमुख की राजे द्वारा मदद को लेकर हो हल्ला करने के लिए कुछ नाखुश लोगों को जिम्मेदार ठहराया.

ऐसा नहीं है कि भाजपा वसुंधरा मामले को लेकर नाखुश और मुश्किल में नहीं है. स्थिति यह है कि इस मामले को लेकर पार्टी में दो फाड हो गया है. लेकिन जानकारों के मुताबिक बिहार चुनाव को देखते हुए पार्टी ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती है जिसका खामियाजा उसे होने वाले चुनाव में भुगताना पडे. पार्टी और सरकार को नुकसान न हो इसको देखते हुए सब फिलहाल वसुंधरा को बख्श देने के मसले पर एकमत हो गए हैं.

दस्तावेज में वसुंधरा के हस्ताक्षर को लेकर कांग्रेस द्वारा किये जा रहे हमलों पर भाजपा ने कहा कि हालांकि उसमें हस्ताक्षर वसुंधरा के हैं लेकिन अंतिम समय में अपील करने से पहले वह अपना निर्णय बदल दी थी. इसलिए यह हस्ताक्षर कानूनी रुप से मान्य नहीं है.

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